देहरादून I प्रदेश में प्रारंभिक शिक्षा सेवा नियमावली को ताक पर रखकर उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति करने के मामले में विभाग के पांच बड़े अफसर कार्रवाई की जद में हैं। इन अफसरों से जवाब तलब किए जाने के बाद फाइल शिक्षा सचिव के पास पहुंच चुकी है। इस प्रकरण में अब सचिव के स्तर से निर्णय लिया जाना है।
प्रदेश में वर्ष 2005 से वर्ष 2013 तक विभिन्न वर्षों में उर्दू के शिक्षकों की भर्ती की गई थी। आरोप है कि विभागीय अधिकारियों ने प्राथमिक शिक्षक सेवा नियमावली को ताक पर रखकर शिक्षकों की अदीब, अदीब ए माहिर एवं अदीब ए कामिल के प्रमाण पत्रों के आधार पर नियुक्ति कर दी।
फर्जी डिग्री असली नौकरी अभियान के बाद शासन की ओर से शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच के आदेश हुए थे। सरकार की ओर से एसआईटी से शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच कराई गई।
जिसमें ऊधमसिंह नगर में एक उर्दू शिक्षक के प्रमाण पत्र की जांच में पाया गया कि शिक्षक के पास हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के प्रमाण पत्र नहीं हैं। इसके बाद विभाग की ओर से इस तरह के अन्य शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच कराई गई। जांच में पाया गया कि अब तक इस तरह के 52 शिक्षकों की भर्ती हुई है।
मामले में शासन की ओर से शिक्षा विभाग के पांच अधिकारियों (जिनमें उप निदेशक और संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं) से जवाब तलब किया गया है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि सभी अधिकारियों ने शासन को अपने जवाब भेज दिए हैं। शासन को भेजे जवाब में सभी अधिकारियों का कहना है कि 1994 के एक शासनादेश के आधार पर उन्होंने शिक्षकों की नियुक्ति की।
शासन ने अधिकारियों का जवाब तलब किया गया था। इन अधिकारियों ने जवाब दे दिए हैं। जवाब का परीक्षण कराया जा रहा है, जल्द ही इस प्रकरण में कार्रवाई की जाएगी।
-आर मीनाक्षी सुंदरम, शिक्षा सचिव
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