देहरादून । प्रदेश सरकार का आधा बजट कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन और भत्तों और पुराने कर्ज के ब्याज चुकाने पर ही खर्च हो रहा है। किफायत बरतने और प्रशासनिक सुधारों के तमाम उपायों के बावजूद ये खर्च सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर है। नतीजा यह है कि सरकार के पास सड़क, पानी, स्वास्थ्य, रोजगार सरीखे बुुनियादी आवश्यकताओं का पूरा करने के लिए पैसा नहीं है। त्रिवेंद्र सरकार अपना तीसरा बजट पेश करने जा रही है। लेकिन उसके लिए बुनियादी विकास के लिए धन जुटाना इस बार भी पहले जितना चुनौतीपूर्ण रहेगा।
2019-20 में ये बढ़कर 57 फीसदी के पार पहुंच चुका है। राज्य सरकार के आंकड़ों के हिसाब से एजी ने 2020-21 में सिर्फ वेतन खर्च का ही जो अनुमान लगाया है वह 16,960 करोड़ रुपये है। यदि सरकार कोई उपाय नहीं करती है तो इसके 2021-22 तक बढ़कर 18,826 करोड़ पहुंचने के आसार हैं। ये तो वेतन का आंकड़ा है। 2016-17 से 2021-22 तक पेंशन का ही खर्च 3,723 करोड़ रुपये से बढ़कर 11,759 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।
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