देहरादून । लॉकडाउन के बीच पिता का निधन हो गया। तमाम पाबंदियों की वजह से इकलौता बेटा विदेश से नहीं आ पाया। वंश का कोई व्यक्ति भी उपस्थित नहीं हो सका। ऐसे में कुल पुरोहित को अंतिम संस्कार की क्रियाएं संपन्न करनी पड़ी।

उत्तराखंड विद्वत सभा के प्रवक्ता एवं आचार्य विजेंद्र प्रसाद ममगाईं के अनुसार डालनवाला क्षेत्र में एक परिवार में 67 वर्षीय एक व्यक्ति की दो दिन पहले मृत्यु हो गई थी। उनका पुत्र दुबई में जॉब करता है। लॉकडाउन के कारण पिता के निधन पर उनका आना संभव नहीं हुआ।

विद्वत सभा ने की अपील
उनका पौत्र भी बेहद छोटा है, जिस कारण उससे दादा के अंतिम संस्कार की क्रियाएं नहीं कराई जा सकी। उनके सगे संबंधी टिहरी, उत्तरकाशी व अन्य जिले में रहते हैं। लॉकडाउन की सख्ती के कारण उन्हें भी आने की अनुमति नहीं मिल सकी। ऐसे में उन्होंने कुल पुरोहित के रूप में उनकी अंतिम क्रियाएं की।

आचार्य विजेंद्र ने कहा कि इस तरह के कई मामले सामने आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में कुल पुरोहित से भी अंतिम क्रियाएं कराई जा सकती हैं। इसका शास्त्रों में भी उल्लेख है, लेकिन इसमें पुरोहित को मुंडन संस्कार करना अनिवार्य नहीं है। बाद में पुत्र या परिवार के सदस्य उसी तिथि पर आत्म संतुष्टि के लिए पार्वण श्राद्ध, तीर्थ श्राद्ध आदि कर सकते हैं।


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