सितारगंज I संपूर्णानंद सेंट्रल जेल में बंद निरक्षर कैदियों को उच्च शिक्षित बंदी पढ़ा रहे हैं। साक्षरता के बाद अब कैदियों को माध्यमिक शिक्षा भी दी जा रही है। इसके लिए बाकायदा जेल में हर रोज कक्षाएं संचालित होती हैं और रात को कैदी भी सेल्फ स्टडी में लगे हैं।
करीब 12 ऐसे कैदी हैं जो जेल में ही बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। इस बार उत्तराखंड मुक्त विवि के जरिये परीक्षा में भी शामिल होंगे। संपूर्णानंद सेंट्रल जेल में 18 से लेकर 70 साल से अधिक आयु तक के करीब 563 कैदी सजा काट कर रहे हैं। इनमें करीब 400 कैदी आजीवन कारावास की सजा में बंद हैं। शेष कैदी अंडर ट्रायल या मियादी सजा वाले हैं। 
 

शिक्षित बंदी जेल में फैला रहे शिक्षा की रोशनी

जेल में निरक्षरों कैदियों को साक्षर करने के लिए प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत कक्षाएं संचालित होती हैं। करीब 40 निरक्षर कैदियों को हर रोज सुबह आठ बजे से दस बजे और शाम दो बजे से पांच बजे तक कक्षाएं संचालित कर पढ़ाया जाता है। इससे कल तक अंगूठा लगाने वाले यह कैदी अब फाइलों पर अपने हस्ताक्षर करने लगे हैं और उन्हें पढ़ना लिखना भी आ गया है। जेल प्रशासन ने कैदियों को शिक्षित करने के लिए अब उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय से मान्यता ले ली है। 

सितारगंज की सेंट्रल जेल में पहली बार 12 कैदी बोर्ड परीक्षाओं में बैठने जा रहे हैं। इनमें हाईस्कूल में दस और इंटर के लिए दो कैदियों ने एनआईओएस में दाखिला लिया है। इन्हें बोर्ड परीक्षा की तैयारी जेल में ही सजा काट रहे स्नातक एवं परास्नातक तक शिक्षित कैदी करा रहे हैं। बैंक अफसर से लेकर निजी सेक्टर में जॉब करके आए इन बंदियों ने जेल में शिक्षा की रोशनी फैलाने का बीड़ा उठाया है।

एनआईओएस से किताबें एवं अन्य पठन सामग्री भी दी गई

कला वर्ग की बोर्ड परीक्षा में दाखिला लेने के लिए आवेदन करने वाले हाईस्कूल एवं इंटर के कैदियों को दोपहर 12 से शाम पांच बजे तक जेल में कक्षाएं लगाकर पढ़ाया जा रहा है। इन कैदियों को एनआईओएस से किताबें एवं अन्य पठन सामग्री दी गई हैं।

जेल में अभी तक प्रौढ़ शिक्षा ही दी जा रही थी, लेकिन इस साल से हाईस्कूल और इंटर तक की शिक्षा देने के लिए एनआईओएस से आवेदन कराए गए हैं। नियमित रूप से कक्षाएं चलाई जा रही हैं। जेल में उच्च शिक्षित बंदी कैदियों को पढ़ा रहे हैं। अगर कोई शिक्षक समाज सेवा के रूप में कैदियों को पढ़ाना चाहता है तो उनका भी जेल में स्वागत है और वह अपने विषयानुसार कैदियों की कक्षा चला सकते हैं। 
- जयंत पांगती, जेलर, संपूर्णानंद सेंट्रल जेल सितारगंज

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