देहरादून। मासिक परीक्षाओं को लेकर प्रदेश भर में नई व्यवस्था लागू हो गई है। व्यवस्था लागू होने के साथ ही इसका विरोध भी शुरू हो गया है। शिक्षकों को परीक्षाओं का परिणाम विभाग के ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करना है। इसी को लेकर शिक्षकों में विरोध के स्वर उठने लगे है। बीते दिसंबर से प्रदेश में कोड की जगह अंक आधारित आकलन व्यवस्था लागू हो गई है। नई व्यवस्था में शिक्षकों को हर महीने छात्रों के अंक विषयवार ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य कर दिया गया है। पहले महीने की परीक्षाओं में ही शिक्षकों का पसीना निकल गया है।
शिक्षक संघों का कहना है कि हजारों शिक्षक ऑनलाइन व्यवस्था को समझ नहीं पा रहे। तकनीक की जानकारी नहीं होने के कारण अंक अपलोड नहीं कर पा रहे। कई शिक्षक फोन और लैपटॉप चलाना तक नहीं जानते, तो अंक कैसे अपलोड करेंगे। साइबर कैफे में जाकर काम करवाना पड़ रहा है। कैफे वालों को जेब से फीस देनी पड़ रही है, सो अलग। नंबर पोर्टल पर अपलोड करने के लिए शिक्षकों को कोई ट्रेनिंग या जानकारी भी नहीं दी गई। साथ ही पोर्टल पर सुधार का कोई विकल्प नहीं है। ऐसे में शिक्षकों में एक बड़ा डर इस बात का भी है कि नंबर गलत अपलोड हो जाने पर उन्हें शिक्षा निदेशालय के चक्कर ना काटने पड़ें। प्राथमिक शिक्षक संघ, राजकीय शिक्षक संघ और जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के पदाधिकारी मामले को शिक्षा निदेशक व सचिव के सामने उठाने की तैयारी कर रहे हैं।
केंद्र को डाटा भेजना भी चुनौती 
हर साल शिक्षकों को एमएचआरडी के साला सिद्धि पोर्टल पर भी सालाना डाटा अपलोड करना होता है। आजकल इसे लेकर भी शिक्षक उलझे हुए हैं। जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश कोषाध्यक्ष सतीश घिल्डियाल ने बताया कि इंटरनेट कनेक्टिविटी के अभाव और तकनीकी जानकारी की कमी के चलते केंद्र के पोर्टल पर भी कभी 70 फीसद से ज्यादा अपलोड नहीं हो पाता। यही हाल मासिक परीक्षाओं का होने जा रहा है।सोहन सिंह माझिला (महासचिव, राजकीय शिक्षक संघ) का कहना है कि शिक्षकों से केवल शिक्षण कार्य की मांग समय-समय पर उठाई जाती रही है। लेकिन विभाग शिक्षकों पर अन्य जिम्मेदारियां लादने से बाज नहीं आता। इस मामले को विभाग के समक्ष उठाया जाएगा।
  • रघुबीर सिंह पुंडीर (जिलाध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ) का कहना हे कि प्राथमिक स्कूलों में वैसे ही सुविधाओं की कमी होती है। इस पर डाटा अपलोड करने काम शिक्षकों के लिए समस्या बन गया है। इसे पूर्व की भांति खंड शिक्षा कार्यालय को ही करना चाहिए।
  • सतीश घिल्डियाल (प्रदेश कोषाध्यक्ष, जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ) का कहना है कि दूरस्थ क्षेत्रों में कनेक्टिविटी नहीं होती। साथ ही हजारों शिक्षक स्मार्ट फोन या लैपटॉप चलाना तक नहीं जानते। खंड शिक्षा कार्यालय को ऑफलाइन डाटा पहले भी दिया जाता था। वही व्यवस्था लागू रखनी चाहिए। 
  • कुंवर सिंह (उप निदेशक, शिक्षा महानिदेशालय) का कहना है कि जिन स्कूलों में कनेक्टिविटी नहीं है। वह एक्सेल शीट पर अपना डाटा तैयार करके खंड कार्यालय को सौंप दें। खंड कार्यालय की जिम्मेदारी है, ऐसे स्कूलों का डाटा अपलोड करना। जिन शिक्षकों को डाटा फीडिंग में समस्या आ रही है, वे शिक्षक भी खंड अधिकारियों से इसे सीख सकते हैं।
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