व्लादिवोस्तोक। पूर्वी आर्थिक मंच की बैठक में जब पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत सुदूर पूर्वी क्षेत्र के विकास के वन बिलियन डॉलर का लाइन ऑफ क्रेडिट मुहैया कराएगा तो भारत की वह शक्ति सामने नजर आई जिसे विकासशील देश के तौर पर देखा जाता रहा है। पीएम मोदी जब इसका ऐलान कर रहे थे तो राष्ट्रपति पुतिन की नजर उन पर टिकी हुई थी। पीएम मोदी ने कहा कि रूस के साथ भारत के रिश्ते सिर्फ आर्थिक संबंधों की वजह से नहीं है बल्कि हम दिल से एक दूसरे से जुड़े हैं।


पीएम मोदी के इस उद्बोधन के बाद राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि जी-7 में भारत और चीन को शामिल कर इसे और व्यापाक बनाने की जरूरत है। भारत की तरक्की को विश्व समुदाय नजरंदाज नहीं कर सकता। हमें यह देखना होगा कि जिस संकल्पना के साथ जी-7 का गठन किया गया उसके स्वरूप में हम और क्या बदलाव कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जी-7/8 देशों की मेजबानी के लिए रूस तैयार है। पुतिन ने कहा कि जी-7 अपने मकसद को पूरा करने में कामयाब रहा है। लेकिन अब वैश्विक स्तर पर बहुत कुछ बदला है और बदलते हालात में हमें इस समूह में भारत के साथ साथ चीन और तुर्की को भी शामिल करना चाहिए।



जी- 7 के दायरे को बढ़ाए जाने के सिलसिले में पीएम नरेंद्र मोदी से सवाल किया गया तो उन्होंने दिलचस्प जवाब दिया। उन्होंने कहा कि इस सवाल का जवाब वो बेहतर तरीक से देते अगर जी-7 की तरफ से यह सवाल किया गया होता। उनके हां या ना कहने का कोई मतलब नहीं बनता है। पीएम मोदी मे कहा कि भारत की स्पष्ट सोच रही है शक्ति का संतुलन होना चाहिए यानि कि दुनिया को मल्टीपोलर होना चाहिए जहां शक्तियों और जिम्मेदारियों के बीच सामंजस्य हो।



यहां ये जानना जरूरी है कि जी-7 में कौन से देश शामिल हैं। जी-7 में अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, जापान, फ्रांस और ब्रिटेन शामिल हैं। हाल ही में संपन्न हुई जी-7 की बैठक में भारत को भी न्यौता भेजा गया था। यहां बता दें कि रूस भी इस समूह में शामिल था तब इसे जी-8 के नाम से जाना जाता था। लेकिन 2014 में रूस के अलग होने के बाद यह जी-7 के नाम से जाना गया। 
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