न्यूयॉर्क I कश्मीर मसले को अंतरराष्ट्रीय बनाने की कोशिश कर रहे पाकिस्तान को अमेरिका ने करारा झटका दिया है. अमेरिका ने पाकिस्तान से पूछा है कि आपको सिर्फ कश्मीर के मुसलमानों की चिंता क्यों है, चीन के मुसलमानों की चिंता क्यों नहीं है?
अमेरिका ने पाकिस्तान से पूछा है कि आप सिर्फ कश्मीर में मानवाधिकार के मामलों को लेकर चिंतित हैं लेकिन पूरे चीन में मुसलमान लगातार जिस 'भयावह हालात' मे हैं, उनपर आप कभी बात नहीं करते.
दक्षिण और मध्य एशिया में अमेरिका के कार्यकारी असिस्टेंट सेक्रेटरी एलिस वेल्स ने संयुक्त राष्ट्र संघ की 74वीं जनरल असेंबली को संबोधित करते हुए पाकिस्तान की आलोचना की. उन्होंने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के चीन के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाने को लेकर सवाल किए. एलिस वेल्स ने कहा कि चीन के जिनजियांग प्रांत में करीब 10 लाख मुसलमानों को बंदी बनाया गया, लेकिन पाकिस्तान वह मसला कभी नहीं उठाता.
चीन अक्सर खुलकर पाकिस्तान के बचाव में आ जाता है
चीन पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त है. चीन अक्सर खुलकर हर स्तर पर पाकिस्तान के बचाव में आता है. यहां तक कि चाहे मामला मुंबई हमले का हो या पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने का हो, चीन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की मदद की. पाकिस्तान की आर्थिक हालत खराब है और चीन इससे उबरने में भी पाकिस्तान की आर्थिक मदद कर रहा है.
एलिस वेल्स ने कहा कि मैं बराबर स्तर की चिंता उन मुसलमानों के लिए भी देखना चाहता हूं, जिनको पश्चिमी चीन में बंदी बनाया गया है. वे वास्तव में कान्सन्ट्रेशन जैसी हालत में हैं. चूंकि आप कश्मीर में मुसलमानों के मानवाधिकारों को लेकर बुरी तरह चिंतित हैं, इसलिए यह चिंता और अधिक विस्तार मांगती है.
उन्होंने कहा कि आपने संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान प्रशासन को यहां बहुत सक्रिय तौर पर देखा है कि कैसे वह पूरे चीन में मुसलमानों के लिए जारी रहने वाली भयावह स्थितियों पर प्रकाश डालने की कोशिश कर रहा है. गौरतलब है कि एलिस का यह बयान तब आया है, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी जनरल असेंबली को संबोधित करने वाले हैं. इमरान यह साफ कर चुके हैं कि वह अपने संबोधन में कश्मीर का मसला उठाएंगे.
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