फेसबुक मिक्स्ड रिएलिटी (एमआर) ग्लास तैयार करने की दौड़ में अभी भी शामिल है और इसके लिए उसने रेबेन के साथ गठबंधन किया है। दरअसल, फेसबुक ने इटली की प्रसिद्ध कंपनी लक्सोटिका के साथ गठबंधन किया है और रेबेन उसका ही ब्रांड है।
इस एमआर चश्मे को स्मार्टफोन के स्थान पर देखा जा रहा है। उपयोगकर्ता इस ग्लास की मदद से ही कॉलिंग कर सकेंगे। इसकी डिस्प्ले पर सारी महत्वपूर्ण जानकारियां देख सकेंगे। इसके साथ ही इसके ग्लास की मदद से सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लाइव स्ट्रीमिंग भी कर सकेंगे। यहां तक कि फेसबुक पर आने वाले नोटिफिकेशन भी देख पाएंगे और ईयरफोन की मदद से कॉल रिसीव भी कर सकेंगे।
पेटेंट के लिए दिया है आवेदन
फेसबुक कंपनी यूएस पेटेंट एंड ट्रेडमार्क ऑफिस में इसके पेटेंट के लिए आवेदन दे चुकी है। फेसबुक के इस एआर ग्लास की मदद से उपयोगकर्ता कॉलिंग के अलावा सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लाइव स्ट्रीमिंग भी कर सकेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक यह 2025 तक बाजार में उपलब्ध होगा। फेसबुक का यह एआर ग्लास, माइक्रोसॉफ्ट के होलोलेंस को टक्कर देगा।
वॉयस असिस्टेंट पर भी काम
फेसबुक एआर ग्लास के अतिरिक्त आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक आधारित वॉयस असिस्टेंट पर भी काम कर रही है। उम्मीद की जा रही है कि यह एआई वायस असिस्टेंट इसी ग्लास में बिल्ट-इन फीचर के तौर पर दी जा सकती है। इसके साथ ही कंपनी रिंग डिवाइस को लेकर भी काम कर रही है, जिसे 'एगिओस' कोडनेम दिया गया है। यह रिंग डिवाइस मोशन सेंसर के जरिए यूजर से तकनीक संबंधी जानकारी हासिल करेगी।
साल 2025 तक हो सकता है लॉन्च
फेसबुक के इस बहुप्रतीक्षित प्लान को लॉन्च होने में लगभग 2023 या 2025 तक का समय लग सकता है। फेसबुक ने इसे ओरिऑन कोडनेम दिया है। इसके अलावा फेसबुक ग्राहकों कोलुभाने के लिए इसको एक बेहतर आकार में बदलना चाहती है, जो सभी हाई-एंड फीचर्स से लैस होगा। लेकिन फेसबुक इसके साइज में हाई एंड फीचर्स को शामिल नहीं कर पा रहा है, जिसके बाद कंपनी ने लुक्सोटिका की मदद ली।
फेसबुक का एआर ग्लास पेटेंट
फेसबुक का ऑक्यूलस वीआर पहनकर कोई भी उपयोगकर्ता सामने मौजूद ग्लास पर ही फेसबुक पोस्ट, वीडियो और नोटिफिकेशन को देख पाएगा। यह ठीक असली दुनिया के समान अहसास देगा। खासबात यह है कि इसमें वेबगाइड तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसमें रोशनी पड़ने से पहनने वाले को एक तस्वीर दिखाई देगी। इसी तरह की तकनीक का इस्तेमाल माइक्रोसॉफ्ट ने अपने होलोलेंस एआर हेडसेट में किया है। लेकिन फेसबुक कंपनी के नए प्रोजेक्ट के तहत तैयार किए जाने वाले इस प्रोजेक्ट में डिवाइस का साइज छोटा करने की कोशिश होगी।
एआर और वीआर में क्या है अंतर
ऑग्मेंटेड रिएलिटी (एआर) और वर्चुअल रिएलिटी (वीआर) के लॉन्च ने विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों को पूरी तरह से बदल दिया है। इन तकनीकों ने लोगों को तकनीक के साथ बेहतर इंटरेक्शन की अनुमति दी है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एआर और वीआर का मतलब क्या है। साथ ही क्या आप यह जानते हैं कि एआर और वीआर के अलावा एमआर तकनीक भी उपलब्ध है। एमआर का मतलब मिक्स्ड रिएलिटी है। इसे माइक्रोसॉफ्ट होलोलेंस के साथ पेश किया गया था। यहां हम आपको इन तीनों का मतलब अलग-अलग बता रहे हैं।
ऑगमेंटेड रियलिटी
इस तकनीक की सहायता से आपके आसपास के वातावरण की तरह एक डिजिटल दुनिया बनाई जाती है। यह देखने में एकदम वास्तविक लगता है। इस तकनीक का इस्तेमाल डिजिटल गेंमिग, शिक्षा, सैन्य प्रशिक्षण, इंजीनियरिंग डिजाइन, रोबोटिक्स, शॉपिंग, और चिकित्सा के क्षेत्र में किया जा रहा है। यह तकनीक कैमरा के जरिए काम करती है। वर्ष 2016 में लॉन्च हुआ पोकेमैन गो गेम इसका एक अच्छा उदाहरण है। साथ ही इंस्टाग्राम और स्नैपचैट इस तकनीक का इस्तेमाल कर लाइव फेस स्टीकर्स उपलब्ध कराते हैं।
वर्चुअल रियलिटी
यह ऑग्मेंटेड रियलिटी से विपरीत है। वर्चुअल रियलिटी में रियल वर्ल्ड के बजाय एक अलग ही वर्चुअल दुनिया बनाई जाती है। इसके लिए एक दृश्य और आवाज का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए एक हेडसेट बनाया गया है जिसमें कैमरा मौजूद है। इस तरह के वीआर हेडसेट मार्केट में उपलब्ध हैं। इनमें एचटीसी वाइव, ऑक्यूलस रिफ्ट, गूगल डे ड्रीम भी शामिल हैं। इस तकनीक को गेमिंग में तो इस्तेमाल किया ही जाता है, लेकिन इसे प्रोफेशनल ट्रेनिंग जैसे डॉक्टर, पायलट और हॉस्टपिटैलिटी सेक्टर में भी इस्तेमाल किया जाता है।
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