मुंबई: महाराष्ट्र में चुनाव नतीजों की घोषणा के चार दिनों बाद भी अगली सरकार को लेकर तस्वीर साफ नहीं है. शिवसेना भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग कर रही है और बीजेपी इसके लिए राजी नहीं है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को कहा कि महाराष्ट्र में बीजेपी के 'नेतृत्व' में सरकार बनेगी. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का दावा है कि लोकसभा चुनाव से पहले ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बैठक के दौरान वादा किया था कि हम 50-50 फॉमूले पर काम करेंगे और अब इसे निभाने की बारी है.
क्या शाह 30 अक्टूबर को उद्धव ठाकरे से मिलेंगे?
सत्ता को लेकर खींचतान के बीच बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह 30 अक्टूबर को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मिल सकते हैं. शाह मुंबई में विधानसभा पार्टी के नेता का चुनाव करने के लिए बीजेपी के नव-निर्वाचित विधायकों की बैठक में हिस्सा लेंगे. बीजेपी विधान पार्षद गिरिश व्यास ने बताया, ‘‘बीजेपी के विधायक दल की बैठक 30 अक्टूबर को मुंबई में होगी. इसमें पार्टी के सभी विधायक, प्रदेश के पदाधिकारी भी मौजूद रहेंगे. बैठक में हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और नेता (महाराष्ट्र बीजेपी प्रभारी) सरोज पांडे भी मौजूद रहेंगे.’’
उन्होंने कहा, ‘‘ बैठक के बाद, शाह उद्धव ठाकरे से मिलने के लिए जा सकते हैं.’’ बता दें कि उद्धव ठाकरे स्पष्ट कर चुके हैं कि उनकी पार्टी हर बार बीजेपी की परेशानी नहीं समझेगी. जब 24 अक्टूबर को चुनाव परिणामों का एलान हुआ था तब ठाकरे ने कहा था कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले, उनके, शाह और फडणवीस के बीच 50:50 का फार्मूला तय हुआ था.
तकरार के बीच बीजेपी और शिवसेना दोनों ने अपना संख्या बल बढ़ाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं. रविवार को तीन निर्दलीय विधायकों (गीता जैन, राजेंद्र राउत और रवि राणा) ने बीजेपी को समर्थन देने का एलान किया. वहीं अचलपुर से विधायक बाच्चु काडु और उनके सहयोगी मेलघाट से विधायक राजकुमार पटेल ने शिवसेना को समर्थन देने की पेशकश की. दोनों सीटें विदर्भ के अमरावती जिले की हैं. काडु प्रहर जनशक्ति पार्टी के प्रमुख हैं.
ठाणे जिले की मीरा भयंदर सीट से जीतीं गीता जैन ने मुंबई में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद बीजेपी को समर्थन देने का एलान किया. विधानसभा चुनाव में वह बीजेपी से टिकट चाहती थीं और वह नहीं मिलने पर 21 अक्टूबर को हुए चुनाव में निर्दलीय खड़ी हो गई थी. जैन ने बीजेपी प्रत्याशी नरेंद्र मेहता को हरा दिया था.
राउत भी बीजेपी के बागी प्रत्याशी थे और उन्होंने सोलापुर जिले की बरसी सीट से शिवसेना के आधिकारिक प्रत्याशी दिलीप सोपाल को हरा दिया था. राणा ने अमरावती जिले के बडनेरा सीट पर अपने निकटवर्ती प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी प्रीति बंद (शिवसेना) को हराया. जैन और राउत ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा की जबकि राणा ने चिट्ठी लिखकर यह घोषणा की.
बता दें कि विधानसभा चुनाव के नतीजों में 2014 के मुकाबले बीजेपी की कम सीटें आने के बाद से शिवसेना ने अपना रुख कड़ा कर लिया है. शिवसेना चुनाव नतीजों के बाद से एनसीपी प्रमुख शरद पवार की तारीफ कर रही है. इस चुनाव में शिवसेना की भी सीटें कम हुई है.
क्या है सीटों का समीकरण?
बीजेपी ने विधानसभा की कुल 288 सीटों में से 105 पर जीत दर्ज की है. वहीं शिवसेना 56, एनसीपी 54 और कांग्रेस 44 सीटें जीती, राज्य में 13 सीटों पर निर्दलीय को सफलता मिली. वहीं अन्य सीटों पर छोटे-छोटे दलों ने बाजी मारी. इस चुनाव में बीजेपी-शिवसेना और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन कर चुनाव लड़ी. 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना अलग-अलग लड़ी थी. तब बीजेपी ने 122 और शिवसेना ने 63 सीटें जीती थी.
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