देहरादून । प्रदेश सरकार ने राज्य गठन से पहले सेवानिवृत्त होने वाले 1.10 लाख कर्मियों को एक नवंबर 2018 की जगह एक जनवरी 2016 से संशोधित पेंशन देना स्वीकार कर लिया है। इससे सरकार पर करीब 180 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्ययभार पड़ेगा।
सरकार से कहा गया था कि इन पेंशनरों की पेंशन का कुल व्यय भार का पांच प्रतिशत ही उत्तराखंड को उठाना होगा। शेष 95 प्रतिशत व्ययभार उत्तर प्रदेश सरकार उठाएगी।

सदन में शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ ने यह सवाल उठाया। विधायक का कहना था कि राज्य गठन से पूर्व सेवानिवृत्त कर्मियों को सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के आधार पर संशोधित पेंशन एक नवंबर 2018 से दिया जाना स्वीकार किया गया है।

इन कार्मिकों को पेंशन उत्तराखंड की ओर से दी जाती है लेकिन प्रदेश सरकार को मात्र पांच प्रतिशत ही व्यय भार उठाना होता है। शेष 95 प्रतिशत उत्तर प्रदेश की ओर से वहन किया जाता है।

विधायक ने पूछा कि क्या सरकार केवल पांच प्रतिशत व्यय भार उठाने में सक्षम नहीं है। इन कार्मिकों को एक जनवरी 2016 से संशोधित पेंशन दी जानी चाहिए और संगठन के स्तर पर भी यही मांग की जा रही है।

वेतन, भत्तों के लिए 14 हजार करोड़ की है व्यवस्था 

इस सवाल का लिखित में जवाब मुख्यमंत्री की ओर से दिया गया था और उसमें कहा गया कि राज्य के वित्तीय संसाधन पर निर्भर करेगा कि इन कार्मिकों को 2016 से संशोधित पेंशन दी जा सकती है या नहीं।

सदन में संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने इस सवाल का जवाब दिया और कहा कि सरकार इन कार्मिकों को 2016 से सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के आधार पर संशोधित पेंशन देने के लिए तैयार है। कौशिक ने कहा कि करीब 1.10 लाख पेंशनरों को इससे फायदा होगा और सरकार को करीब 180 करोड़ रुपये का व्ययभार वहन करना पड़ेगा। 

कर्मचारियों के वेतन भत्तों पर बजट 2019-20 में लगभग 14513.75 करोड़ रुपये का अनुमान था। वेतन और भत्तों पर अक्टूबर 2019 तक लगभग 8306.71 करोड़ रुपये खर्च हुए है। यह बजट अनुमान का 57.23 प्रतिशत है। अभी चार माह का वेतन दिया जाना बाकी है।
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