मुंबई I लोकसभा में पास हुए नागरिकता संशोधन विधेयक पर राहुल गांधी ने जैसे ही ट्वीट कर बयान जारी किया, वैसे ही शिवसेना की भूमिका बदल गई। शिवसेना के इस यू टर्न को कांग्रेस के सामने सरेंडर के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, एनसीपी ने कहा कि दोनों पार्टियां अलग हैं और उनके लिए हमेशा सभी मुद्दों पर समान विचार रखना संभव नहीं है।

लोकसभा में शिवसेना ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर बीजेपी का साथ देते हुए विधेयक के पक्ष में मतदान किया, पर राज्यसभा में विधेयक का समर्थन करने से पहले शर्त रख दी है। मंगलवार को शिवसेना अध्यक्ष व राज्य के मुखिया मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि नागरिकता विधेयक में स्पष्टता के बगैर शिवसेना राज्यसभा में इसका समर्थन नहीं करेगी। लोकसभा में इस विधेयक को पारित करने के दौरान हमारे सांसदों ने कुछ सवाल उठाए थे।

मुझे नहीं पता कि गृहमंत्री अमित शाह ने उन सवालों का जवाब दिया अथवा नहीं। पहले इस विधेयक पर राज्यसभा में और चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन नागरिकों का नागरिकता दी जा रही है, वे रहेंगे किस राज्य में? पार्टी के मुख पत्र 'सामना' में भी बीजेपी पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया गया कि नागरिकता संशोधन विधेयक के जरिए बीजेपी धर्म के नाम पर देश को बांट रही है।

शिवसेना से कांग्रेस खफा
लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक मंजूर होने के बाद राहुल गांधी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, 'नागरिकता संशोधन विधेयक भारतीय संविधान पर हमला है, जो कोई भी इसका समर्थन करता है वो हमारे देश की बुनियाद पर हमला और इसे नष्ट करने का प्रयास कर रहा है।' माना जा रहा है कि राहुल ने इस ट्वीट के जरिए शिवसेना के बिल के समर्थन के फैसले पर नाराजगी जताई है। राहुल की नाराजगी पर कांग्रेस के नेता शिवेसना पर टूट पड़े।
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