महंत नरेंद्र गिरी |
हरिद्वार I यौन शोषण के आरोप में जेल भेजे गए पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद के मामले में अखाड़ा परिषद दो धड़ों में बंट गई है। परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने जहां अखाड़ा परिषद की 10 अक्टूबर को होने वाली बैठक में चिन्मयानंद मामले पर विचार और फैसले की बात कही, वहीं महामंत्री हरिगिरि ने मामले को कोर्ट में विचाराधीन बताते हुए कहा कि इस संबंध में परिषद न कोई प्रस्ताव लाएगी और न ही विचार करेगी।
संतों की सबसे बड़ी संस्था भारतीय अखाड़ा परिषद ने बीती 21 सितंबर को एक बयान जारी कर चिन्मयानंद पर लगे आरोपों को शर्मनाक बताया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें इस आरोप में अखाड़ा परिषद से बर्खास्त भी किया जा सकता है, लेकिन बैठक से महज तीन ही दिन पहले अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के सुर बदल गए।
बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि चिन्मयानंद साजिश का शिकार हुए हैं। आरोप लगाया कि लड़की और उसके दोस्तों ने उन्हें साजिश के तहत फंसाया है।
नशीला पदार्थ खिलाकर उनके वीडियो बनाए गए। यह पूरा मामला ब्लैकमेलिंग से जुड़ा हुआ है। लिहाजा, हरिद्वार में 10 अक्तूबर को होने वाली बैठक में इस संबंध में विचार और निर्णय के बाद औपचारिक एलान किया जाएगा।
उधर, अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरि के बयान श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के बयान से एकदम अलग हैं। हरिगिरि ने चिन्मयानंद से जुड़े मामले पर साफ कहा कि जो प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है, उस संबंध में अखाड़ा परिषद न तो कोई प्रस्ताव लाएगी और न ही कोई विचार करेगी। हरिगिरि ने कहा कि अपने मत पर अभी भी कायम हैं।
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