देहरादून। साल के पहले दिन की शुरूआत हर कोई सुख-शांति की कामना के साथ करता दिखा। हर किसी ने वही काम करने की कोशिश की, जिसकी उम्मीद वह साल के बाकी सभी दिनों के लिए कर सकता है। हकीकत भले ही जुदा हो जाए, मगर मन का विश्वास यही कहता है कि साल का पहला दिन जैसा होगा, बाकी के दिन भी उसी के अनुरूप होंगे। यही कारण है कि सरकारी कार्यालयों में फरियादियों की संख्या ना के बराबर दिखी। अधिकतर लोग साल के पहले दिन शिकायत लेकर पहुंचने से बचते दिखे। वहीं, सरकारी अधिकारी व कर्मचारी इस उम्मीद के साथ समय पर दफ्तर पहुंचे कि बाकी के दिन भी इसी तरह उपलब्ध रहेंगे।
फरियादियों की सबसे अधिक संख्या कलक्ट्रेट में देखने को मिलती है, जबकि पहली तारीख को यहां के तमाम कार्यालय लगभग खाली रहे। यहां तक कि संयुक्त कार्यालय में भी कर्मचारियों के अलावा दिनभर इक्का-दुक्का लोग ही दिखे। जो लोग आए भी उनके काम झटपट हो गए। कुछ ऐसा ही नजारा नगर निगम का भी था। जो कुछ लोग काम के लिए आ रहे थे, उनका समाधान झटपट कर दिया गया।
काश कि काम पर मुस्तैद कार्मिकों की स्थिति सालभर ऐसी ही रहे, मगर सब कुछ उम्मीद के अनुरूप भी कहां हो पाता है। तभी तो जैसे-जैसे दिन बीतते हैं, कार्यालयों में फरियादियों की संख्या तो बढ़ जाती है, मगर समाधान करने वाले या तो नदारद रहते हैं और उनकी वही सुस्त चाल हावी हो जाती है।
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