नई दिल्ली. नए साल के पहले तीन महीने नौकरी करने वालों के लिए कई बार बड़े टेंशन भरे हो जाते हैं. क्योंकि हर महीने के खर्चों के साथ-साथ उन्हें टैक्स सेविंग के लिए भी अलग से निवेश के लिए पैसे बचाने पड़ते हैं. इस पूरे मामले पर देश के जाने-माने वित्तीय सलाहकार अक्सर यही कहते हैं कि आखिरी में इस तरह की जल्दबाजी करने से अच्छा है कि शुरुआत में ही सही तरीके से इसकी प्लानिंग की जाए ताकि, हर महीने के खर्चों के लिए भी पैसों की तंगी न हो और समय पर जरुरत पड़ने पर पैसों की कमी को भी दूर किया जा सके.
दिल्ली के मयूर विहार में रहने वाली अनामिका ने बीते साल कुछ ऐसी ही एक गलती की. उन्होंने साल के अंत में एक ही पॉलिसी में एक लाख रुपये का इन्वेस्टमेंट कर दिया. इस पॉलिसी से उन्हें खास टैक्स छूट नहीं मिल पाई. इसीलिए आज हम आपको अपने संडे स्पेशल खबर में इनकम टैक्स बचाने से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहे हैं....
सबसे पहले जानते हैं कि इनकम टैक्स होता है क्या है....
अगर आसान शब्दों में कहें तो आपकी आमदनी पर केंद्र सरकार टैक्स वसूलती है, इसे ही आयकर या इनकम टैक्स (Income Tax) कहते हैं. आयकर (Income Tax) से होने वाली कमाई को सरकार अपनी गतिविधियों और जनता को सुविधा और सेवाएं देने के लिए इस्तेमाल करती है.
साल में एक बार आपको एक आईटीआर (ITR) फॉर्म में सरकार को अपनी आमदनी, खर्च, निवेश और टैक्स देनदारी के बारे में ब्यौरा देना होता है, इसे आयकर रिटर्न (इनकम टैक्स रिटर्न या ITR) कहते हैं. आयकर रिटर्न (Income Tax Return) वास्तव में आपकी आमदनी और खर्च का लिखित हिसाब-किताब है. केंद्र सरकार को आप विस्तार से यह जानकारी देते हैं कि उस वित्त वर्ष में आपने अपनी नौकरी, कारोबार या पेशे से कितनी रकम कमाई.
इसके साथ ही इसमें आप सरकार द्वारा निर्धारित टैक्स बचत के विकल्प में निवेश करने, जरूरी चीजों पर खर्च करने (री इम्बर्स्मेंट या बिल जमा करने पर टैक्स छूट के बारे में) और एडवांस टैक्स (अग्रिम कर) चुकाने की जानकारी भी देते हैं.
देश के कानून के हिसाब से आयकर रिटर्न (ITR) हर व्यक्ति को भरना चाहिए. चाहे वो, कोई भी बिजनेस या फिर नौकरी कर रहा हो. वित्त वर्ष की समाप्ति पर आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करके आप सरकार या इनकम टैक्स विभाग से यह भी कह सकते हैं कि आप इनकम टैक्स देनदारी के दायरे में नहीं आते.
आइए जानें इनकम टैक्स बचाने के उपयों के बारे में...
इनकम टैक्स बचाने का सबसे सरल तरीका है धारा 80सी के तहत उपलब्ध विकल्पों जैसे पीपीएफ, लाइफ इंश्योरेंस, बैंकों के टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट, म्युचुअल फंडों की इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम आदि में पैसे लगाए जाएं. हालांकि, आप चाहें तो बचा कर नहीं बल्कि पैसे खर्च कर भी इनकम टैक्स की देनदारी घटा सकते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि किन मदों में खर्च करने पर आप इनकम टैक्स बचा सकते हैं.
वित्तीय सलाहकार बताते हैं कि अक्सर लोगों को ये मालूम नहीं होता हैं कि आपकी सैलरी के साथ कटना वाला ईपीएफ भी इनकम टैक्स में 80सी के तहत ही आता है. अगर आसान शब्दों में कहें तो मतलब साफ है कि 1.5 लाख रुपये की टैक्स छूट में सैलरी से कटने वाला ईपीएफ भी होता है.
अगर आप इनकम टैक्स (Income Tax) कानून के सेक्शन 80C का पूरा लाभ उठाना चाहते हैं तो 1.5 लाख रुपये की निवेश सीमा पाने के लिए आपको केवल बची हुई राशि ही टैक्स छूट के विकल्पों में निवेश करनी है.
यहां ध्यान रखने वाली बात यह भी है कि EPF में केवल आपका योगदान ही सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट के योग्य है. आपकी कंपनी द्वारा आपके EPF अकाउंट में किए गए योगदान पर टैक्स (Income Tax) लाभ नहीं मिलता.
आप अगर चाहें तो अपने अनिवार्य EPF योगदान से अधिक रकम का योगदान भी कर सकते हैं. यह योगदान स्वैच्छिक प्रोविडेंट फंड (वीपीएफ यानी VPF) में किया जा सकता है। आप इस पर भी इनकम टैक्स (Income Tax) कानून के सेक्शन 80C के तहत टैक्स बचत का लाभ उठा सकते हैं.
आइए जानें टैक्स छूटी से जुड़ी स्कीम्स के बारे में...
(I) सेक्शन 80C, 80CC और 80CCD
गौरी चड्ढा का कहना है कि सेक्शन 80C के तहत वहीं लोग छूट पा सकते हैं, जिन्होंने लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम, बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट, ट्यूशन फी, सुकन्या समृद्धि योजना (SSY), नैशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC), ELSS, पेंशन फंड्स आदि में इनवेस्टमेंट किया हो. टैक्सपेयर्स 80C, 80CC और 80CCD के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये की छूट पा सकते हैं.
(II) पब्लिक प्रविडेंट फंड (PPF)
सरकारी स्कीम पीपीएफ एक अच्छा ऑप्शन है. इसकी मैच्युरिटी पीरियड 15 साल का होता है. इस अकाउंट पर मिलने वाला इंट्रेस्ट (ब्याज) टैक्स फ्री होता है.
(III) नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)
एनपीएस खाते दो तरह के होते हैं. एनपीएस टायर-1 अकाउंट प्राइमरी अकाउंट होता है, जो लॉक-इन पीरियड से लैस होता है, जबकि एनपीएस टायर-2 अकाउंट बिना किसी लॉक-इन पीरियड वाला ऑप्शनल अकाउंट होता है.
सब्सक्रइबर्स इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 80CCD (1), सेक्शन 80CCD (1B) और सेक्शन 80CCD (1B) के तहत कुल 2 लाख रुपये की छूट पा सकते हैं. इससे रिटायरमेंट फंड बनाने में मदद मिलती है.
(IV) हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम
इनकम टैक्स के सेक्शन 80D के तहत मेडिकल इंश्योरेंस के लिए दिए जाने वाले प्रीमियम पर टैक्स बचाया जा सकता है. अगर आप खुद के लिए, पार्टनर या बच्चों के लिए प्रीमियम अदा करते हैं तो 25,000 रुपये तक टैक्स बचा सकते हैं.
अगर आप अपने 60 साल से ऊपर के माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम चुका सकते हैं तो 30,000 रुपये तक की छूट पाई जा सकती है.
(V) घर के किराए पर भी मिलती हैं छूट
अगर आप किराए के घर में रह रहे हैं तो टैक्स में छूट पा सकते हैं. सेक्शन 80GG के तहत अधिकतम छूट 60,000 रुपये है. गौर करने वाली बात है कि टैक्सपेयर तभी छूट का दावा पा सकता है, जब कंपनी से उसे HRA नहीं मिला है.
(VI) डोनेशन देकर भी पा सकते हैं टैक्स छूट
सेक्शन 80G के तहत 2,000 रुपये से ज्यादा के सभी डोनेशन जो कैश, डिमांड ड्राफ्ट, बैंक ट्रांसफर, क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड के जरिए दिए जाते हैं, उन पर छूट पाई जा सकती है. हालांकि, 2,000 रुपये से ज्यादा का दान जो कैश दिया जाएगा, उस पर छूट नहीं मिलेगी.
(VII) कुछ खास सेविंग खातों पर भी मिलती हैं टैक्स छूट
सेक्शन 80TTA के तहत सेविंग खाते से मिलने वाले ब्याज पर छूट मिलती है. हालांकि, गौर करने वाली बात है कि बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) या टाइम डिपॉजिट से मिलने वाले ब्याज पर इस सेक्शन के तहत छूट नहीं मिलेगी.
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