जम्मू I नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने साफ किया कि यह कानून जम्मू-कश्मीर में भी लागू होगा और रोहिंग्या शरणार्थियों को यहां से जाना ही होगा. उन्होंने कहा कि रोहिंग्या को जम्मू-कश्मीर से जाना होगा और हम उनके निर्वासन को लेकर पूरी तैयारी करेंगे.

केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने कहा कि रोहिंग्या जम्मू-कश्मीर में कैसे आ गए. ऐसा क्यों किया गया. क्या उन्हें जम्मू में जम्मू की जनसांख्यिकी बदलने के मकसद से लाया गया था? इन सबकी जांच होनी चाहिए.

बंगाल से जम्मू कैसे आएः जीतेंद्र सिंह
जम्मू-कश्मीर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लागू किए जाने को लेकर केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने शुक्रवार को साफ किया कि जिस दिन सीएए कानून संसद से पास कर दिया गया उसी दिन से यहां पर यह लागू हो गया था. सरकार का अगला कदम रोहिंग्या शरणार्थियों के निर्वासन के बारे में होगा ताकि वे नागरिकता के नए कानून के तहत अपने आप को सुरक्षित न कर सकें.

उन्होंने इस बात की जांच कराने की मांग की कि कैसे रोहिंग्या शरणार्थी कैसे पश्चिम बंगाल के कई इलाकों से होते हुए जम्मू के उत्तरी इलाके में आकर बस गए.

जीतेंद्र सिंह ने कहा कि जिस दिन संसद में सीएए कानून पारित हो गया उसी दिन जम्मू और कश्मीर में यह लागू भी हो गया. जम्मू-कश्मीर में सीएए को लागू करने को लेकर कोई अगर-मगर नहीं है. अब यहां पर अगला कदम रोहिंग्या शरणार्थियों के निर्वासन को लेकर होगा.

केंद्रीय मंत्री ने सामान्य निधि नियमों पर जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों के 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में माना कि जम्मू क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं.

'सीएए से रोहिंग्या को कोई लाभ नहीं'
जीतेंद्र सिंह ने कहा कि उनके (रोहिंग्याओं) निर्वासन की योजना क्या होगी, इस बारे में केंद्र में मामला विचाराधीन है. सूची तैयार की जाएगी. जहां भी जरूरत होगी, बॉयोमेट्रिक पहचान पत्र दिए जाएंगे, क्योंकि सीएए रोहिंग्या को किसी तरह का कोई लाभ प्रदान नहीं करता.
उन्होंने कहा, "वे उन 6 (धार्मिक) अल्पसंख्यकों (जिन्हें नए कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी) से संबंधित नहीं हैं. न ही वे उन 3 (पड़ोसी) देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) में से किसी से संबंधित हैं. उन्होंने कहा कि रोहिंग्या समाज के लोग म्यांमार से यहां आए और इसलिए उन्हें वापस जाना होगा.

जम्मू में बढ़ गई रोहिंग्या की आबादी
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशी नागरिकों समेत 13,700 से अधिक विदेशी जम्मू और सांबा जिलों में बसे हुए हैं, जहां 2008 और 2016 के बीच उनकी आबादी 6,000 से अधिक हो गई है.
11 दिसंबर को संसद द्वारा पारित किए जाने के बाद नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है.

केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जम्मू और कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी (JKNPP), विश्व हिंदू परिषद (VHP), राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और अन्य सामाजिक संगठन रोहिंग्याओं को देश से बाहर कर उन्हें वापस भेजने की मांग लगातार कर रहे हैं.
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