पिथौरागढ़ । कोरोना वायरस के चलते इस बार कुमाऊं के लिपुलेख दर्रे से कैलाश मानसरोवर यात्रा पर संशय बरकरार है। मार्च का दूसरा सप्ताह बीतने को है, लेकिन विदेश मंत्रालय की अब तक यात्रा का संचालन करने वाले कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) के अधिकारियों के साथ न तो कोई बैठक हुई है और न ही किसी तरह के दिशा-निर्देश दिए गए हैं। बता दें कि जून में शुरू होने वाली यात्रा को लेकर मार्च माह से बैठकों का दौर शुरू हो जाता है। इधर, यात्रा मार्ग पर अब भी चार फीट से अधिक बर्फ जमा है।  
विदेश मंत्रालय यात्रियों का रजिस्ट्रेशन कर केएमवीएन अधिकारियों के साथ बैठक करता है। विदेश मंत्रालय की ओर से ही तय किया जाता है कि कितने यात्री यात्रा पर जाएंगे। केएमवीएन के जीएम अशोक जोशी का कहना है कि अभी विदेश मंत्रालय की ओर से कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं हुए हैं। मार्च दूसरा सप्ताह बीतने को है पर कोई बैठक भी नहीं हुई है। यदि कोई दिशा-निर्देश जारी हुए तो यात्रा को लेकर केएमवीएन तैयार है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में यात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा आईटीबीपी के पास है।    

यात्रा टली तो चार करोड़ का कारोबार प्रभावित 

आईटीबीपी सातवीं वाहिनी मिर्थी के कमांडेंट अनुप्रीत टी बोरकर ने बताया कि इस बार यात्रा मार्ग पर काफी अधिक बर्फबारी हुई है। गुंजी में अभी ढाई तो लिपुपास के पास चार फीट से अधिक बर्फ जमा है। गुंजी से लेकर लिपुपास तक 26 किमी का पैदल रास्ता पूरी तरह बर्फ से ढका हुआ है।

उच्च हिमालयी क्षेत्र में अब भी बर्फबारी हो रही है। ऐसे में यदि यात्रा मार्ग से बर्फ हटाने का कार्य शुरू किया जाता है तो एवलांच आने का भी खतरा बना हुआ है। मौसम खुलने के बाद जवान बर्फ हटाने का कार्य शुरू करेंगे। 

कोरोना वाइरस के चलते यदि कैलाश यात्रा स्थगित हुई तो केएमवीएन को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ेगा। इससे निगम की व्यवस्थाओं पर भी असर पड़ेगा। कुमाऊं के काठगोदाम से यात्री निगम के डीडीहाट, धारचूला, बूंदी, गुंजी, कालापानी, नाभीढांग टीआरसी में विश्राम करते हैं। साथ ही एक रात नाभी गांव में होम स्टे होता है। केएमवीएन के जीएम अशोक जोशी ने बताया कि पिछले वर्ष यात्रा से चार करोड़ रुपये का व्यवसाय हुआ था। 
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