देहरादून I नए मोटरयान अधिनियम के आलोक में परिवहन विभाग ने बेशक कंपाउंडिंग की नई दरों का प्रस्ताव तैयार कर दिया है, लेकिन जरूरी नहीं कि सरकार उसके प्रस्ताव को जस का तस स्वीकार कर ले। कैबिनेट की बैठक में नए मोटरयान अधिनियम के क्रियान्वयन और उसके बारे में जन जागरूकता को लेकर भी मंथन होगा। 
परिवहन विभाग के सूत्रों के मुताबिक कंपाउंडिंग की नई दरों का प्रस्ताव तैयार हो चुका है। इस प्रस्ताव में कंपाउंडिंग शुल्क की दरों को दो से पांच गुना तक करने का प्रस्ताव है। लेकिन प्रस्ताव पर अंतिम मुहर कैबिनेट को लगानी है। नए एक्ट के संबंध में पूछे जाने पर परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि यह विषय कैबिनेट की बैठक में लाया जा रहा है। बैठक में नए एक्ट पर विचार होगा। उनके मुताबिक, ‘नए अधिनियम को लेकर जनता को जागरूक करने की भी आवश्यकता है। बैठक में इस मसले पर विचार होगा। सुरक्षित यातायात व्यवस्था अधिनियम का मूल मकसद है। लेकिन नया कानून होने से लोगों को इसकी जानकारी नहीं है।’ सूत्रों की मानें तो कैबिनेट की बैठक में सरकार कंपाउंडिंग शुल्क की प्रस्तावित दरों में कमी का निर्णय ले सकती है।

डीएल आरसी नहीं दिखाने पर तत्काल चालान नहीं काट सकती ट्रैफिक पुलिस

केंद्रीय मोटरयान अधिनियम के नियम 139 के तहत वाहन चालक को दस्तावेजों को पेश करने के लिए 15 दिन का समय देना होगा। ट्रैफिक पुलिस तत्काल चालान नहीं काट सकती है। यह कहना है वरिष्ठ अधिवक्ता प्रेम लता सिंह का। उनके मुताबिक नया मोटरयान अधिनियम लागू होने के बाद से वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, पाल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस और परमिट सर्टिफिकेट नहीं दिखाते हैं तो यह जुर्म नहीं है।

अधिनियम के नियम 139 में प्रावधान है कि वाहन चालक को दस्तावेजों को पेश करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। यदि चालक 15 दिन में इन दस्तावेजों को दिखाने का दावा करता है ति उसका ट्रैफिक पुलिस या आरटीओ चालना नहीं काटेंगे। उन्होंने कहा कि एक्ट की धारा 158 में यह प्रावधान है कि एक्सीडेंट होने या किसी विशेष मामले में इन दस्तावेजों को दिखाने का समय सात दिन का होता है। यदि फिर भी चालान काटा जाता है तो चालक के पास कोर्ट में इसे खारिज कराने का विकल्प है।

अधिवक्ता के मुताबिक ट्रैफिक पुलिस गैर कानूनी तरीके से चालान काटती है तो इसका मतलब यह कतई नहीं कि चालक को चालान भरना ही पडे़गा। इस चालान को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट को लगता है कि चालक के पास सभी दस्तावेज हैं और उसको इन दस्तावेजों को पेश करने के लिए 15 दिन का समय नहीं दिया तो वह जुर्माना माफ कर सकता है। इसके अलावा चालान में एक गवाह के हस्ताक्षर भी होना जरूरी है। कोर्ट में मामले के समरी ट्रायल के दौरान ट्रैफिक पुलिस को गवाह पेश करना होता है।  पुलिस गवाह पेश करने में नाकाम होती है तो कोर्ट चालान माफ कर सकता है। 
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