केंद्रीय मोटरयान अधिनियम के नियम 139 के तहत वाहन चालक को दस्तावेजों को पेश करने के लिए 15 दिन का समय देना होगा। ट्रैफिक पुलिस तत्काल चालान नहीं काट सकती है। यह कहना है वरिष्ठ अधिवक्ता प्रेम लता सिंह का। उनके मुताबिक नया मोटरयान अधिनियम लागू होने के बाद से वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, पाल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस और परमिट सर्टिफिकेट नहीं दिखाते हैं तो यह जुर्म नहीं है।
अधिनियम के नियम 139 में प्रावधान है कि वाहन चालक को दस्तावेजों को पेश करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। यदि चालक 15 दिन में इन दस्तावेजों को दिखाने का दावा करता है ति उसका ट्रैफिक पुलिस या आरटीओ चालना नहीं काटेंगे। उन्होंने कहा कि एक्ट की धारा 158 में यह प्रावधान है कि एक्सीडेंट होने या किसी विशेष मामले में इन दस्तावेजों को दिखाने का समय सात दिन का होता है। यदि फिर भी चालान काटा जाता है तो चालक के पास कोर्ट में इसे खारिज कराने का विकल्प है।
अधिवक्ता के मुताबिक ट्रैफिक पुलिस गैर कानूनी तरीके से चालान काटती है तो इसका मतलब यह कतई नहीं कि चालक को चालान भरना ही पडे़गा। इस चालान को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट को लगता है कि चालक के पास सभी दस्तावेज हैं और उसको इन दस्तावेजों को पेश करने के लिए 15 दिन का समय नहीं दिया तो वह जुर्माना माफ कर सकता है। इसके अलावा चालान में एक गवाह के हस्ताक्षर भी होना जरूरी है। कोर्ट में मामले के समरी ट्रायल के दौरान ट्रैफिक पुलिस को गवाह पेश करना होता है। पुलिस गवाह पेश करने में नाकाम होती है तो कोर्ट चालान माफ कर सकता है।
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