न्यूयॉर्क : संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें अधिवेशन में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न्यूयार्क में हैं। उन्होंने अमेरिका के अपने सात दिवसीय दौरे पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत दुनिया के कई अन्य नेताओं के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठक की। उन्होंने गुरुवार को ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से मुलाकात की। इन दिनों अमेरिका का ईरान के साथ रिश्ता बहुत खराब है। दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है।
पीएम मोदी और रूहानी ने आपसी और क्षेत्रीय हितों के मुद्दों पर चर्चा की। तेहरान के परमाणु कार्यक्रम पर ईरान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच आमने-सामने आने के बाद दोनों नेताओं की बैठक की उत्सुकता से प्रतीक्षा की गई थी। वे यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के मौके पर मिले। दोनों नेता शेड्यूलिंग मुद्दों पर जून में किर्गिस्तान के बिश्केक में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के मौके पर प्लान्ड बैठक नहीं कर सके थे।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है। आयात के माध्यम से अपने तेल की जरूरत का 80 प्रतिशत से अधिक पूरा करता है। हाल तक इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान भारत का तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता था।
अमेरिकी प्रतिबंधों से भारत और सात अन्य देशों को ईरान से तेल खरीदने की छह महीने की लंबी छूट दो मई को समाप्त हो गई क्योंकि अमेरिका ने इसका विस्तार नहीं किया। पिछले कुछ वर्षों में भारत-ईरान संबंधों में तेजी आई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने मई 2016 में ईरान के साथ एक रणनीतिक संबंध बनाने और पश्चिम एशिया के साथ भारत के संबंधों का विस्तार करने के उद्देश्य से तेहरान का दौरा किया। इस यात्रा के दौरान भारत और ईरान ने लगभग एक दर्जन समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिसका केंद्र बिंदु रणनीतिक चाबहार बंदरगाह के विकास पर एक समझौता था।
बाद में, भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने बंदरगाह के माध्यम से तीन देशों के बीच माल के परिवहन के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए। फरवरी 2018 में, रूहानी ने भारत का दौरा किया, एक दशक में भारत आने वाले पहले ईरानी राष्ट्रपति बने। उनकी यात्रा के दौरान, दोनों पक्षों ने एक दर्जन समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
अमेरिका और ईरान के बीच तनाव कम करने के यूरोपीय प्रयासों के बावजूद ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक के दरवाजे बंद कर दिए। रूहानी ने यूएन महासभा में बुधवार को कहा कि जब तक अमेरिका आर्थिक दबाव बरकरार रखता है, वह बातचीत नहीं करेंगे। रूहानी ने कहा, मैं यह घोषणा करना चाहता हूं कि प्रतिबंधों के बीच किसी भी प्रकार की वार्ता पर हमारा जवाब नकारात्मक होगा।
उन्होंने कहा, जब एक महान देश को चुपचाप खत्म किए जाने एवं आठ करोड़ 30 लाख ईरानियों पर दबाव बनाने का अमेरिकी सरकार के अधिकारी स्वागत कर रहे हैं, तो कोई उन पर कैसे भरोसा कर सकता है? रूहानी ने कहा, ईरानी देश इन अपराधों और इन अपराधियों को कभी भूलेगा नहीं और उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।
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