देहरादून। उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) ब्याज की 32.90 करोड़ की धनराशि प्रदेश सरकार को लौटाने के बजाय दबाकर बैठा हुआ है। स्पेशल ऑडिट में बीते पांच वर्षो में निगम के स्तर पर बड़े पैमाने पर की गई वित्तीय धांधली का खुलासा हो चुका है। 

ब्याज की करोड़ों की बकाया धनराशि सरकारी खजाने में अब तक वापस जमा नहीं कराने के मामले में अब संबंधित आठ महकमों को जवाब देना होगा। महकमों को यह भी बताना होगा कि उनकी ओर से निगम के खिलाफ कार्रवाई को क्या कदम उठाए गए। पहले ऑडिट और फिर स्पेशल ऑडिट में यूपीआरएनएन की ओर से प्रदेश के विभिन्न महकमों में कराए गए कार्यो में कई सौ करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी पकड़ में आई है। 

स्पेशल ऑडिट में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्यो के नाम पर फर्जीवाड़े का खुलासा हो चुका है। राज्य सरकार कार्यदायी एजेंसी यूपीआरएनएन के लिए नए कार्यो का रास्ता बंद कर चुकी है। वहीं निगम की ओर से पिछले पांच वर्षो में राज्य के विभिन्न विभागों में निर्माण परियोजनाओं पर काम किया है। 

ऑडिट में इन परियोजनाओं से संबंधित आपत्तियों पर विभागों को जवाब देना होगा। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह इस संबंध में बुधवार को राज्यस्तरीय संपरीक्षा समिति की बैठक लेंगे। बैठक में ऑडिट की समग्र समीक्षा होगी।

महकमों को ऑडिट में सामने आई आपत्तियों के निस्तारण के साथ ही अनियमितताओं के मामले में कार्रवाई के बारे में भी जानकारी देनी होगी। बैठक में संबंधित महकमों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव भाग लेंगे।
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