नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का हरियाणा में सरकार का बनाने का मसला भले हो गया हो लेकिन महाराष्ट्र में अब भी पेंच फंसा हुआ है। महाराष्ट्र में बीजेपी नीत गठबंधन ने सष्ट बहुमत हासिल कर लिया है लेकिन गठबंधन सहयोगी शिवसेना सत्ता में बराबरी की हिस्सेदारी की मांग कर रही है। शिवसेना का कहना है कि बीजीपी के साथ सत्ता बंटवारा 50-50 पर फॉर्मूले पर होना चाहिए यानी 2.5 साल बीजेपी का मुख्यमंत्री और 2.5 साल शिवसेना का मुख्यमंत्री। शिवसेना अन्य मांगों के साथ-साथ चाहती है कि बीजेपी उसे लिखित में ‘सत्ता में बराबरी’ का हक देने का आश्वासन दे।
महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे आने के तीन दिन बाद शिवसेना ने रविवार को एक बार अपनी मांग दोहराई और साथ ही कहा कि महाराष्ट्र में सत्ता का रिमोट कंट्रोल अब पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के हाथ में है। महाराष्ट्र में 1995 से लेकर 1999 तक पहली शिवसेना-बीजीपी गठबंधन सरकार के दौरान शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे अक्सर ‘रिमोट कंट्रोल’ शब्द का इस्तेमाल करते थे। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में अपने स्तंभ ‘रोकटोक’ में संजय राउत ने कहा है, 'शिवसेना ने इस बार कम सीटें जीती हैं। 2014 की 63 के मुकाबले 56 सीटें जीती हैं, लेकिन उसके पास सत्ता की चाबी है।'
गौरतलब है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को कहा था, 'यह वक्त बीजेपी को उस फॉर्मूले की याद दिलाने का है जिस पर हम तब राजी हुए थे जब बीजेपी प्रमुख अमित शाह मेरे घर आए थे...हम गठबंधन के लिए 50-50 फॉर्मूले पर पहुंचे थे।' ठाकरे ने कहा था, 'हम बीजेपी के मुकाबले कम सीटों पर चुनाव लड़ने पर सहमत हुए लेकिन हर बार बीजेपी के लिए गुंजाइश नहीं बनाई जा सकती। मेरी पार्टी को भी आगे बढ़ने का अवसर मिलना चाहिए।' 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी के पास 105 तो शिवसेना के 56 विधायक हैं।
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