नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को दिल्ली पुलिस ने जिस तरीके से सेवा आचरण का उल्लंघन करते हुए प्रदर्शन किया उससे ऐसा लगता है कि केंद्र नाखुश है। हालांकि, सरकार को उनकी शिकायतों के लिए सहानुभूति भी है। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। अधिवक्ताओं और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प के बाद पुलिस के विरोध के मद्देनजर केंद्र सरकार का यह मानना है कि दिल्ली पुलिस का नेतृत्व इस स्थिति को नियंत्रित करने में नाकाम रहा, जिससे प्रतिकूल जनधारणा बनी।
उन्होंने बताया कि दिल्ली पुलिस के शीर्ष स्तर पर बहुत जल्द बदलाव हो सकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'पुलिस की वास्तविक शिकायत हो सकती है, लेकिन उन्हें उचित माध्यम से इस मुद्दे को उठाना चाहिए था। हम एक अनुशासित बल को भीड़ की मानिसकता विकसित करने की अनुमति नहीं दे सकते हैं।' अधिकारियों ने बताया कि चूंकि पुलिस आवश्यक सेवा के तहत आती है, ऐसे में किसी भी परिस्थिति में कर्मियों का कर्तव्य केवल सेवा प्रदान करना है। पुलिस कानून की रक्षा करती है और इसलिए उस पर बड़ा दायित्व है।
एक अन्य अधिकारी ने तीस हजारी अदालत में अधिवक्ताओं के कथित रूप से हिंसा में शामिल होने के संदर्भ में कहा कि दूसरी ओर अधिवक्ता भी अदालत के अधिकारी होते हैं और उन्हें भी अपने पेशेवर आचरण का पालन करना चाहिए और वे भी भीड़ की मानसिकता विकसित नहीं कर सकते। अधिकारी ने बताया कि कानून और नियमों का उल्लंघन करने वाले अधिवक्ताओं और पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की संभावना है।
दिल्ली पुलिस के हजारों पुलिसकर्मियों ने मंगलवार को अपने सहयोगियों पर हमलों के खिलाफ पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और अपने मुखिया पुलिस आयुक्त सहित विभिन्न अपीलों और शिकायतों के निपटारे का आश्वासन मिलने के बाद लगभग 11 घंटे चला प्रदर्शन खत्म कर दिया। इस प्रदर्शन में पुलिसकर्मियों के परिवारों ने भी भाग लिया। शिकायतों के निपटारे के संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों से आश्वासन मिलने के बाद रात में यह आंदोलन समाप्त हुआ।
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