श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आतंकवादियों को जम्मू-कश्मीर से बाहर निकलने में मदद करने के आरोप में गिरफ्तार पुलिस उपाधीक्षक देविन्दर सिंह को बहादुरी के लिए दिया गया शेर-ए-कश्मीर पुलिस पदक बुधवार को ‘‘वापस’’ ले लिया. सरकारी आदेश के अनुसार, निलंबित अधिकारी का कदम विश्वासघात के बराबर है और उससे बल की छवि खराब हुई है.आदेश के अनुसार, सिंह को 2018 मे पुलिस पदक दिया गया था.

जम्मू कश्मीर पुलिस ने दावा किया है कि अगर आतंकियों के साथ पकड़े गए डीएसपी के तार संसद हमले से जुड़ते हैं, तो उसकी भी जांच होगी. पुलिस के मुताबिक आरोपी अफसर को फिलहाल निलंबित किया गया है और उसके निष्कासन की सिफारिश भी सरकार को की गयी है.

जम्मू कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने आतंकियों के साथ गिरफ्तार डीएसपी देवेंद्र सिंह पर बड़ा बयान दिया है. आज जम्मू में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि फिलहाल पुलिस हाल के मामले की जांच बड़ी गहराई से कर रही है. उनके मुताबिक अगर इस जांच के दौरान कुछ पहलू 2001 में संसद पर हुए हमले से जुड़ते हैं या उस हमले का ज़िक्र आता है तो उसकी भी जांच होगी.

जम्मू कश्मीर पुलिस के मुताबिक जिस काम में आरोपी अधिकारी शामिल था उसके चलते उसका निलंबन हो चुका है. साथ ही पुलिस ने उसके निष्कासन की भी सिफारिश सरकार से की है, जिसपर फैसला सरकार को लेना है. पुलिस का यह भी दावा है कि इसके साथ ही आरोपी अफसर को जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा एक पुलिस मैडल पुलवामा पुलिस लाइन पर फिदायीन हमले के दौरान आतंकियों के खिलाफ की गयी कार्यवाही के लिए दिया गया था. जिसे वापस लेने की सिफारिश भी पुलिस करेगी.

आरोपी डीएसपी देवेंद्र सिंह के पुराने रिकॉर्ड पर पुलिस मुखिया ने दावा किया कि अगर किसी अधिकारी या जवान के खिलाफ कोई भी शिकायत आती है तो अधिकारी समय समय पर उसपर कार्यवाही होती है. आरोपी डीएसपी पर भी जब जब कोई शिकायत मिली तो उसपर जांच हुई और कुछ शिकायतों पर अमल करते हुए इस अधिकारी को अपनी जगह से निकला भी गया है. उन्होंने कहा कि अभी जो आपराधिक षड्यंत्र इस अधिकारी ने रचा है उसके लिए उसके साथ आतंकियों जैसा सुलूक किया जायेगा. अगर आरोपी अधिकारी ने पहले भी कोई गलती की है तो उसकी भी जांच होगी.

पुलिस का दावा है कि हमारी अंदरूनी जांच में इस अफसर के आतंकी लिंक का खुलासा हाल ही में हुआ और उसी के मुताबिक हमने कार्यवाही की. उनके मुताबिक इस अधिकारी पर पुलिस ने खुद निगरानी रखी, खुद यह सारा ऑपरेशन किया, खुद पुलिस ने आपने ही अधिकारी को पकड़ा जिससे साफ़ है कि पुलिस खुद यह चाहती है कि अगर फोर्स या देश का नाम कोई अधिकारी खराब करता है तो उसे पकड़ा जाये. पुलिस के मुताबिक इस मामले में अंदाज़े नहीं लगाने चाहिए. डीजीपी ने इस मामले पर हो रही राजनीति को भी दुर्गभाग्यपूर्ण बताया.
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