नई दिल्ली I अगर आप यस बैंक के ग्राहक हैं तो आपके लिए एक बुरी खबर है. दरअसल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंक के ग्राहकों के लिए 50 हजार रुपये निकासी की सीमा तय की है. जानकारी के मुताबिक आरबीआई का ये आदेश अगले एक महीने के लिए है. अगर आसान भाषा में समझें तो यस बैंक के ग्राहक 1 महीने तक सिर्फ 50 हजार रुपये ही अपने खाते से निकाल सकेंगे. इसके अलावा पूर्व एसबीआई सीएफओ प्रशांत कुमार को यस बैंक का एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया गया है.
आरबीआई ने ये कार्रवाई बैंक की आर्थिक हालत को देखते हुए की है. बता दें कि यस बैंक बीते कुछ समय से फंड जुटाने के लिए संघर्ष कर रहा है. इससे पहले गुरुवार को ये खबर आई थी कि सरकार ने देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI को यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदने के लिए कहा है.
बैंक के शेयर में आई तेजी
यस बैंक में एसबीआई की हिस्सेदारी की खबर से बैंक के शेयर में 25 फीसदी से अधिक की तेजी आ गई. कारोबार के अंत में यस बैंक का शेयर 36.85 (25.77%) रुपये के भाव पर बंद हुआ. इससे एक दिन पहले 29.30 रुपये के भाव पर बंद हुआ था.
आर्थिक संकट से जूझ रहा यस बैंक
करीब 15 साल पहले शुरू हुए यस बैंक की आर्थिक हालत ठीक नहीं है. बैंक पर कर्ज बढ़ता जा रहा है तो वहीं शेयर भी टूट रहा है. यस बैंक की बदहाली इतनी बढ़ गई है कि सिर्फ 15 महीने के भीतर बैंक के निवेशकों को 90 फीसदी से अधिक का नुकसान हो गया है.
अगस्त 2018 में यस बैंक का जो शेयर 400 रुपये से अधिक के भाव पर बिक रहा था वो आज लुढ़क कर 30 रुपये से भी नीचे आ गया है. वहीं सितंबर 2018 में यस बैंक का मार्केट कैप करीब 80 हजार करोड़ रुपये था, जो अब 9 हजार करोड़ के स्तर पर आ गया है. इस हिसाब से बैंक के मार्केट कैप में 70 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की कमी आई है.
क्यों यस बैंक की हुई ये हालत?
बीते कुछ सालों में यस बैंक को एक के बाद एक झटके लगे हैं. इसमें सबसे बड़ा झटका रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई की ओर से दिया गया. साल 2018 में आरबीआई को लगा कि यस बैंक अपने डूबे हुए कर्ज (एनपीए) और बैलेंसशीट में कुछ गड़बड़ी कर रहा है. इसके बाद आरबीआई ने यस बैंक के चेयरमैन राणा कपूर को पद से जबरन हटा दिया. बैंक के इतिहास में पहली बार था जब किसी चेयरमैन को इस तरह से पद से हटाया गया.
क्यूआईपी के मोर्चे पर भी झटका
इसके अलावा यस बैंक को क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) के मोर्चे पर भी झटका लगा. दरअसल, क्यूआईपी के जरिए बैंक का जो फंड जुटाने का लक्ष्य रखा था वो पूरा नहीं हो सका. बैंक ने क्यूआईपी के जरिए 1,930 करोड़ रुपये जुटाए थे. बता दें कि क्यूआईपी, कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने का एक जरिया होता है.
इन हालातों में दुनिया भर की रेटिंग एजेंसियां बैंक को संदिग्ध नजर से देख रही हैं और निगेटिव मार्किंग कर रही हैं. इसी के तहत बीते साल अगस्त में रेटिंग्स एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने यस बैंक को डाउनग्रेड करके जंक वर्ग में डाल दिया. यस बैंक के मैनेजमेंट में उठा-पटक भी संकट बढ़ा दिया है. हालांकि बैंक की ओर से समय-समय पर मैनेजमेंट में किसी तरह के गतिरोध की आशंका खारिज की जाती रही है.
निफ्टी 50 से बाहर होगा यस बैंक
इसी महीने 27 मार्च को यस बैंक नेशनल शेयर बाजार (एनएसई) के प्रमुख इंडेक्स ‘निफ्टी 50’ से बाहर हो जाएगा. इस सूची में टॉप 50 परफॉर्मर कंपनियां होती हैं. इस सूची में अकसर बदलाव होता रहता है. इसमें वही कंपनियां शामिल होती हैं जिनके परफॉर्मेंस और मार्केट कैप में सुधार होता है.
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