देहरादून: कोविड-19 की रोकथाम के लिए जारी लॉकडाउन के कारण थमे निजी क्षेत्र के निर्माण कार्यों को भी प्रदेश सरकार ने मंजूरी दे दी है। लेकिन ये सभी निर्माण कार्य केंद्रीय गृह मंत्रालय की गाइडलाइन के अधीन होंगे। सोशल डिस्टेंसिंग का हर हाल में पालन करना होगा। जिलाधिकारी अपने स्तर पर तय करेंगे कहां निर्माण की सशर्त अनुमति देनी है।

प्रदेश में रियल एस्टेट कारोबार का आर्थिकी में अहम योगदान है। सेंकेंडरी सेक्टर में रियल एस्टेट का कारोबार 15 फीसदी की दर से बढ़ रहा था। लेकिन लॉकडाउन के बाद से इस सेक्टर को बड़ा झटका लगा है। 20 अप्रैल के बाद सरकार ने सरकारी निर्माण कार्यों को सशर्त मंजूरी देने का आदेश जारी कर दिया था। इसके बाद से निजी क्षेत्र के निर्माण कार्यों को लेकर असमंजस की स्थितियां बनी हुई थी। यह स्पष्ट नहीं हो पाया था कि वे शुरू हो पाएंगे या नहीं। इस बीच मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से सचिव आवास, गढ़वाल व कुमाऊं मंडल के आयुक्तों को निर्माण कार्य शुरू कराने के संबंध में पत्र लिखा है। पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का जिक्र किया गया है। उन्होंने केंद्र सरकार की मानक प्रचालन विधि (एसओपी) के अनुरूप शीघ्र निर्माण कार्य कराए जाने के निर्देश दिए हैं।

सरकार ने प्रदेश में निजी क्षेत्र के निर्माण कार्यों को भी मंजूरी दे दी है, लेकिन ये पूरी तरह से केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अधीन होंगे। कोविड-19 महामारी के संक्रमण से बचाव को लेकर सामाजिक दूरी की शर्त हर हाल में पालन करना होगा। निर्माण एजेंसियों को श्रमिकों के आवास व ठहरने की निर्माण स्थल के आसपास ही व्यवस्था करनी होगी। सरकार के इस फैसले से ठप पड़े रियल एस्टेट कारोबार को बड़ी राहत मिलेगी।

रियल एस्टेट के सामने होंगी चुनौतियां
निजी सेक्टर के सामने चुनौतियां भी होंगी, सबसे बड़ी चुनौती तो श्रमिकों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना होगा। साथ ही उनके निर्माण स्थल पर ही आवास की व्यवस्था कराना भी आसान नहीं है।

प्रदेश में सरकारी और निजी क्षेत्र के निर्माण कार्यों को केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अधीन मंजूरी दे दी गई है। जिलाधिकारी अपने स्तर पर तय करेंगे कि कहां क्या करना है। सोशल डिस्टेंसिंग का हर हाल में पालन करना होगा।
- अमित सिंह नेगी, सचिव आपदा प्रबंधन


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