देहरादून I 'नमस्ते मैम, मैं हलीमा राजकीय बालिका इंटर कालेज कारगी में कक्षा नौं की छात्रा अब आपकी मदद से दोबारा पढ़ पा रही हूं। आपका दिल से धन्यवाद।' हलीमा ने यह पत्र सचिव सिंचाई भूपेंद्र कौर औलख को लिखा है। हलीमा की मां चाहती थी कि बेटी पढ़े, लेकिन पिता इसके लिए सहमत नहीं थे। लिहाजा हलीमा को स्कूल छोड़ना पड़ा।
स्कूल के निरीक्षण के दौरान सिंचाई सचिव को यह जानकारी मिली। उनकी ओर से कोशिश हुई तो उनको एक प्यारा सा खत हलीमा की ओर से मिला। इससे प्रेरित औलख अब कहती है कि मेरी तरफ से सबसे अपील कीजिए कि बेटियों को घर न बैठाएं, उन्हें पढ़ाएं।
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