हरिद्वार I राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भले ही अंग्रेजों से मुक्ति का आंदोलन दक्षिण अफ्रीका से शुरू कर दिया था, लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन का असली मंत्र उन्हें हरिद्वार के कुंभ से मिला था। महात्मा गांधी अपने राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले के कहने पर 1915 में हरिद्वार में आए थे। उनका दूसरा आकर्षण गंगा तट पर स्वतंत्रता की साधना कर रहे स्वामी श्रद्धानंद थे। इसी नगरी से उन्हें देश वासियों से सीधे जुड़ने की प्रेरणा मिली।
भारत आने पर एंड्रयूज ने उनसे कहा कि उनकी जरूरत भारत को अधिक है, और उन्हें बंगाल में रविंद्र नाथ टैगौर, काशी में महामना मालवीय व हरिद्वार में स्वामी श्रद्धानंद से जरूर मिलना चाहिए। उन्हीं दिनों महात्मा के गुरु गोपाल कृष्ण ने उन्हें 1915 के हरिद्वार कुंभ में जाने की सलाह दी। बापू टैगोर से मिलने के बाद कलकत्ता से ट्रेन से सीधे हरिद्वार पहुंचे।
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