देहरादून। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की जो विज्ञान शाखा वर्ष 1921 से देश-विदेश की तमाम धरोहरों की केमिकल ट्रीटमेंट का कार्य कर रही है, वह करीब 98 साल बाद दून से विदा हो जाएगी। एएसआइ के मुख्यालय की तरफ से जारी किए गए आदेश में कार्यालय को 30 नवंबर तक ग्रेटर नोएडा शिफ्ट करने को कहा गया है। सितंबर माह में जब से यह आदेश जारी किया गया, तभी से संस्थान के कार्मिक परेशान हैं और वह नहीं चाहते हैं कि दून की पहचान बन चुके इस ऐतिहासिक कार्यालय को यहां से शिफ्ट किया जाए।

देहरादून के हाथीबड़कला में विज्ञान शाखा का निदेशक कार्यालय व प्रयोगशाला करीब 10 बीघा क्षेत्रफल में स्थापित है। वर्ष 2013 की आपदा के बाद जब केदारनाथ मंदिर की स्थिति खराब हो चुकी थी, तब इस शाखा ने मंदिर में केमिकल ट्रीटमेंट का कार्य कर इसकी सूरत संवारने का काम किया था। 

इसके अलावा विज्ञान शाखा देश व देश से बाहर तमाम ऐतिहासिक धरोहरों में केमिकल ट्रीटमेंट का कार्य करती रहती है। हालांकि, जून माह में नए निदेशक के रूप में रामजी निगम की तैनाती के बाद से ही कार्यालय की शिफ्टिंग ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया था। पहले यह कहा जा रहा था कि सिर्फ प्रयोगशाला को यहां से शिफ्ट किया जाएगा, मगर कुछ दिन बाद ही एक आदेश आया कि पूरे कार्यालय को ग्रेटर नोएडा में शिफ्ट किया जाना है। 

इसको लेकर यहां के कार्मिक परेशान नजर आ रहे हैं और दबी जुबान में इस निर्णय की खिलाफत भी कर रहे हैं। इस मामले में निदेशक रामजी निगम का कहना है कि मुख्यालय से शिफ्टिंग का आदेश मिलने के बाद से ही प्रयोगशाला आदि की शिफ्टिंग का काम शुरू कर दिया गया है। प्रयास किए जाएंगे कि तय समय के भीतर कार्यालय को स्थानांतरित कर दिया जाए। 

हालांकि, निदेशक ने इस बात पर अनभिज्ञता जताई कि शिफ्टिंग के बाद इस संपत्ति का क्या होगा। क्योंकि यह संपत्ति एएसआइ की है और इस तरह की कोई संभावना भी नहीं दिख रही कि यहां विज्ञान शाखा का ट्रांजिट कार्यालय भी अस्तित्व में रहेगा।
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