नई दिल्ली। अगर आप भीम, गूगल पे, फोनपे, पेटीएम आदि पेमंट ऐप का प्रयोग करते हैं तो सावधान हो जाइए। इन दिनों इस प्लैटफॉर्म पर खूब ठगी हो रही है। ठगी से बचने के बारे में एक्सपर्ट्स से जानकारी लेकर बता रहे हैं राजेश भारती।
एक्सपर्ट्स
-अशनीर ग्रोवर, सीईओ और को-फाउंडर, BharatPe
-प्रथमेश सोनसुरकर, साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन एक्सपर्ट
-किरन जैन, डायरेक्टर प्रॉडक्ट्स, Ezetap
-अभिषेक अग्रवाल, टेक्नॉलजी एक्सपर्ट, The Judge Group
विनय ने एक वेबसाइट पर अपना पुराना मोबाइल बेचने के लिए लिस्ट किया। कुछ दिन बाद उनके पास एक कॉल आई। कॉल करने वाले शख्स ने उस मोबाइल को खरीदने की इच्छा जताई। सौदा 10 हजार रुपये में तय हो गया। मोबाइल खरीदने वाले शख्स ने कहा कि वह 5 हजार रुपये टोकन मनी के रूप में गूगल पे ऐप के जरिए भेज रहा है और बचे पैसे फोन लेते समय दे देगा। उस शख्स ने विनय के गूगल पे अकाउंट पर एक मेसेज भेजा जिसमें 5 हजार रुपये की बात थी। विनय ने उस मेसेज को गौर से नहीं देखा और Pay पर क्लिक कर दिया। विनय को उनके अकाउंट से 5 हजार रुपये कटने का मेसेज आया तो उनका सिर चकरा गया। उन्हें पता चला कि वह ठगी का शिकार हो गए हैं। जाहिर है, पेमंट ऐप पर ठगे जाने वाले विनय अकेले नहीं हैं।
कौन होता है शिकार
इस प्रकार की ठगी के शिकार वे लोग होते हैं जो पेमंट ऐप जैसे- गूगल पे, फोनपे, भीम ऐप आदि का प्रयोग करते हैं। डिजिटल लेन-देन के लिए अब इन ऐप का चलन काफी हो गया है। साथ ही, कुछ लोग शौक या फैशन के तौर पर भी इन ऐप्स का प्रयोग करने लगे हैं, जबकि उन्हें इन ऐप को सही तरीके से इस्तेमाल करना नहीं आता। और तो और, तमाम समझदार लोग भी हैं जो पेमंट ऐप पर आए मेसेज को ध्यान से नहीं पढ़ते और जल्दी से Pay वाली जगह पर टैप पर देते हैं।
कितने का चूना
हर पेमंट ऐप बैंक अकाउंट से जुड़ा होता है। पेटीएम, ओला, ऐमजॉन जैसी कुछ कंपनियों के डिजिटल वॉलेट सीधे भी काम करते हैं। साथ ही, हर ऐप के लिए केवाईसी कराना जरूरी होता है। इसके बाद कोई भी पेमंट ऐप यूजर एक दिन में 1 लाख रुपये तक का लेन-देन कर सकता है। ऐसे में हो सकता है कि जालसाज आपके पेमंट ऐप से एक दिन में ही 1 लाख रुपये उड़ा ले।
पेमंट ऐप की सुरक्षा
हर पेमंट ऐप की दो तरह से सुरक्षा की जाती है। पहला MPIN और दूसरी UPI PIN। MPIN चार या छह अंकों का होता है। इस पिन के बिना पेमंट ऐप को नहीं खोला जा सकता। कुछ ऐप में यह पिन जरूरी तो कुछ में वैकल्पिक होता है। वहीं किसी से पैसा मंगाना है तो ऐप को खोलने के लिए MPIN का प्रयोग करना होगा। UPI PIN भी चार या छह अंकों का होता है। UPI PIN के बिना न तो किसी को पैसा भेजा जा सकता है और न ही अकाउंट का बैलेंस चेक किया जा सकता है। हालांकि पैसा लेने के लिए किसी भी प्रकार के पिन की जरूरत नहीं पड़ती। पैसे देने यानी पे करने के लिए इसकी जरूरत होती है।
ऐसे करते हैं ठगी
1. शिकार ढूंढना
जालसाज ओएलएक्स जैसी वेबसाइट पर अपना शिकार ढूंढते हैं। ये जालसाज उस शख्स को फोन करते हैं और कुछ महंगे सामान जैसे मोबाइल, लैपटॉप, वीइकल, फर्नीचर आदि खरीदने का नाटक रचते हैं।
2. दाम तय करना
बात करते हुए जालसाज सामान बेच रहे शख्स से मोलभाव कर एक दाम तय करता है। जालसाज 50% रकम शुरू में देने की बात कहता है और बाकी की रकम सामान खरीदने पर। ऐसे में सामान बेचने वाला शख्स भी लालच में आ जाता है।
3. नंबर मांगना
सामान की कीमत तय होने पर जालसाज पेमंट ऐप के जरिए ही भेजने की बात कहता है। फिर पेमंट ऐप का नाम और उससे जुड़ा मोबाइल नंबर मांगता है। सामान बेचने वाला शख्स जालसाजों को पेमंट ऐप से जुड़ा मोबाइल नंबर दे देता है।
4. Request Money
चूंकि डील पक्की हो चुकी होती है इसलिए ये जालसाज फोन पर बात करने के दौरान टोकन मनी की रकम अपने पेमंट ऐप से पैसे भेजने की जगह पैसे लेने यानी Request Money का ऑप्शन भेज देते हैं और सामने वाले शख्स से कहते हैं कि रकम भेज दी है, प्लीज आप उसे ओके कर दीजिए और UPI PIN डालकर बैलेंस चेक कर लीजिए।
5. UPI PIN
बातचीत के दौरान सामान बेचने वाला व्यक्ति मेसेज को ध्यान से पढ़ नहीं पाता। वह बस रकम देखता है और Pay को ओके समझकर उस पर टैप पर देता है। साथ ही बैलेंस चेक करने के लिए UPI PIN डाल देता है। ऐसा करते ही उसके पेमंट ऐप से पैसे कट जाते हैं और जालसाज के अकाउंट में आ जाते हैं।
6. फोन बंद करना
फोन डिस्कनेक्ट होने के बाद उस शख्स को पता चलता है कि उसके पेमंट ऐप से जालसाज ने पैसे अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा लिए हैं। जब जालसाज को फिर से फोन किया जाता है तो वह फोन नहीं उठाता या उसका मोबाइल नंबर बंद आता है।
इन बातों का रखें ध्यान
पैसे मांगने पर
यह पेमंट ऐप में Request के नाम से होता है। इसका अर्थ है कि जिस शख्स ने यह मेसेज भेजा है, वह आपसे पैसे मांगना चाहता है। अगर आपने Pay पर क्लिक करके UPI PIN डाल दिया तो आपके अकाउंट से पैसे उसके अकाउंट में चले जाएंगे।
सतर्क रहना है जरूरी
पैसे भेजने पर
अगर आप किसी शख्स को पेमंट ऐप के जरिए पैसे भेज रहे हैं, तो इसके लिए MPIN और UPI PIN की जरूरत होती है। बिना UPI PIN के किसी को भी पैसा नहीं भेजा जा सकता।
ऐसे समझें: यह ठीक उसी तरह है जैसे आप अपने बैंक में जाकर पैसे निकालते हैं। इसके लिए पैसे निकालने वाली स्लिप या चेक पर आपका साइन होना जरूरी है। UPI PIN ही एक तरह से आपका साइन है।
सतर्क रहें
पेमंट ऐप का प्रयोग करते समय सतर्क रहना बहुत जरूरी है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अनुसार, अगर पेमंट ऐप यूजर UPI PIN डाल देता है और उसके बाद उसके अकाउंट से रकम कट जाती है तो ऐसे में बैंक जिम्मेदार नहीं होता। ऐसे में पेमंट ऐप के यूजर को ही सतर्क रहना होगा।
अकाउंट में कम रखें रकम
अधिकतर पेमंट ऐप यूजर के बैंक अकाउंट से जुड़े होते हैं या वे उस ऐप के वॉलेट में पैसे रखते हैं। अगर किसी का एक ही बैंक अकाउंट है और उसमें बड़ी रकम है तो ऐसे में ठगी होने पर बड़ी रकम अकाउंट से निकाली जा सकती है। ऐसे में बेहतर होगा कि एक नया बैंक अकाउंट खुलवाएं और उसमें 10-15 हजार से ज्यादा रकम न रखें। इसी अकाउंट को पेमंट ऐप से कनेक्ट रखें। अगर किसी कारणवश पेमंट ऐप से ठगी होती है तो बड़ी रकम का नुकसान नहीं होगा।
बैंक का ऐप करें प्रयोग
ज्यादातर पेमंट ऐप थर्ड पार्टी होते हैं यानी ये बैंक के ऑफिशल ऐप नहीं होते। आज के समय में काफी बैंकों जैसे SBI, HDFC आदि के भी पेमंट ऐप हैं। बेहतर होगा कि बैंकों के ऐप का ही प्रयोग करें ताकि किसी भी प्रकार का गलत लेन-देन होने पर बैंक से सीधे शिकायत की जा सके।
इसलिए पकड़ में नहीं आते जालसाज
दरअसल जालसाज फर्जी डॉक्यूमेंट्स के जरिए निजी या छोटे बैंकों में अकाउंट खुलवा लेते हैं। साथ ही फर्जी डॉक्यूमेंट्स से सिम भी खरीद लेते हैं। फिर वे अपने मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट से पेमंट ऐप पर रजिस्टर करा लेते हैं और केवाईसी भी पूरी करा लेते हैं। इसके बाद ये जालसाज लोगों की रकम अपने बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करा लेते हैं। इस रकम को वे या तो एटीएम कार्ड के जरिए निकाल लेते हैं या शॉपिंग कर लेते हैं। चूंकि इनके डॉक्यूमेंट्स फर्जी होते हैं जिनके आधार पर बैंक अकाउंट से लेकर मोबाइल नंबर तक लिया होता है, इसलिए इन्हें पकड़ पाना मुश्किल होता है।
कस्टमर केयर बनकर चुरा रहे पैसे
हाल में जोमैटो के एक यूजर ने ऑर्डर कैंसिल करने और उसका रिफंड लेने के लिए लेकर कस्टमर केयर से बात करनी चाही। यूजर ने गूगल के जरिए जोमैटो का कस्टमर केयर नंबर लिया और फोन लगाया। वहां से कस्टमर से कहा गया कि वह Anydesk ऐप डाउनलोड करे। वहां बताई गईं डिटेल्स भरने के बाद एक कोड आएगा वह बता दे। पैसे उनके अकाउंट में आ जाएंगे। कुछ देर बाद उस यूजर के अकाउंट से पैसे निकल गए।
दरअसल, Anydesk ऐप के इस्तेमाल को लेकर रिजर्व बैंक ने भी चेतावनी जारी की है और इस ऐप को डाउनलोड नहीं करने को कहा है। इस ऐप के जरिए जलसाज कहीं भी बैठकर यूजर के फोन को ऐक्सेस कर उसका पूरा कंट्रोल अपने ले लेते है और UPI के जरिए पैसे की चोरी कर लेते हैं। ऐसा ही एक दूसरा ऐप है टीम व्यूअर। यह भी Anydesk के जैसे ही काम करता है।
ऐसे करते हैं धोखाधड़ी
- जालसाज खुद बैंक एग्जिक्यूटिव बनकर फोन करते हैं। कई बार ऐसे भी मामले सामने आए हैं जिनमें गूगल पर मौजूद गलत कस्टमर केयर नंबर पर यूजर खुद ही फोन कर देते हैं।
- इन दोनों ही मामलों में फर्जी बैंक अधिकारी बने जालसाज यूजर को Anydesk या टीम व्यूअर ऐप डाउनलोड करने के लिए कहते हैं।
- ऐप के डाउनलोड होने के बाद इन साइबर क्रिमिनल्स को 9 अंकों वाले रिमोट डेस्क कोड की जरूरत पड़ती है। ये जालसाज यूजर से 9 अंकों का कोड मांग लेते हैं। यह कोड मिलते ही वे यूजर के मोबाइल या कंप्यूटर स्क्रीन को आसानी से देख और कंट्रोल कर सकते हैं।
- जैसे ही यूजर अपने बैंक अकाउंट का यूजरनेम और पासवर्ड डालता है, ये जालसाज उसे नोट कर लेते हैं। इसके बाद अकाउंट से पैसे उड़ा देते हैं।
समझदारी से करें काम
स्क्रीन शेयर करने वाले किसी भी ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसके काम करने के तरीके को ढंग से समझ लेना बेहतर रहता है। बिना जानकारी ये ऐप यूजर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके साथ ही इस बात का जरूर ध्यान रखें कि कोई भी बैंक अपने ग्राहकों को थर्ड पार्टी ऐप डाउनलोड करने के लिए नहीं कहता है।
ऐंड्रॉयड डिवाइस पर ज्यादा खतरा
आईफोन की तुलना में ऐंड्रॉयड डिवाइसेज पर इस प्रकार से पैसे उड़ाने का ज्यादा खतरा होता है। दरअसल, ऐंड्रॉयड पर Anydesk स्कैमर्स आसानी से स्क्रीन को मॉनिटर और रिकॉर्ड कर सकते हैं। वहीं दूसरी आईफोन Anydesk ऐप को स्क्रीन कास्ट नहीं करने देता।
एक्सपर्ट्स
-अशनीर ग्रोवर, सीईओ और को-फाउंडर, BharatPe
-प्रथमेश सोनसुरकर, साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन एक्सपर्ट
-किरन जैन, डायरेक्टर प्रॉडक्ट्स, Ezetap
-अभिषेक अग्रवाल, टेक्नॉलजी एक्सपर्ट, The Judge Group
विनय ने एक वेबसाइट पर अपना पुराना मोबाइल बेचने के लिए लिस्ट किया। कुछ दिन बाद उनके पास एक कॉल आई। कॉल करने वाले शख्स ने उस मोबाइल को खरीदने की इच्छा जताई। सौदा 10 हजार रुपये में तय हो गया। मोबाइल खरीदने वाले शख्स ने कहा कि वह 5 हजार रुपये टोकन मनी के रूप में गूगल पे ऐप के जरिए भेज रहा है और बचे पैसे फोन लेते समय दे देगा। उस शख्स ने विनय के गूगल पे अकाउंट पर एक मेसेज भेजा जिसमें 5 हजार रुपये की बात थी। विनय ने उस मेसेज को गौर से नहीं देखा और Pay पर क्लिक कर दिया। विनय को उनके अकाउंट से 5 हजार रुपये कटने का मेसेज आया तो उनका सिर चकरा गया। उन्हें पता चला कि वह ठगी का शिकार हो गए हैं। जाहिर है, पेमंट ऐप पर ठगे जाने वाले विनय अकेले नहीं हैं।
कौन होता है शिकार
इस प्रकार की ठगी के शिकार वे लोग होते हैं जो पेमंट ऐप जैसे- गूगल पे, फोनपे, भीम ऐप आदि का प्रयोग करते हैं। डिजिटल लेन-देन के लिए अब इन ऐप का चलन काफी हो गया है। साथ ही, कुछ लोग शौक या फैशन के तौर पर भी इन ऐप्स का प्रयोग करने लगे हैं, जबकि उन्हें इन ऐप को सही तरीके से इस्तेमाल करना नहीं आता। और तो और, तमाम समझदार लोग भी हैं जो पेमंट ऐप पर आए मेसेज को ध्यान से नहीं पढ़ते और जल्दी से Pay वाली जगह पर टैप पर देते हैं।
कितने का चूना
हर पेमंट ऐप बैंक अकाउंट से जुड़ा होता है। पेटीएम, ओला, ऐमजॉन जैसी कुछ कंपनियों के डिजिटल वॉलेट सीधे भी काम करते हैं। साथ ही, हर ऐप के लिए केवाईसी कराना जरूरी होता है। इसके बाद कोई भी पेमंट ऐप यूजर एक दिन में 1 लाख रुपये तक का लेन-देन कर सकता है। ऐसे में हो सकता है कि जालसाज आपके पेमंट ऐप से एक दिन में ही 1 लाख रुपये उड़ा ले।
पेमंट ऐप की सुरक्षा
हर पेमंट ऐप की दो तरह से सुरक्षा की जाती है। पहला MPIN और दूसरी UPI PIN। MPIN चार या छह अंकों का होता है। इस पिन के बिना पेमंट ऐप को नहीं खोला जा सकता। कुछ ऐप में यह पिन जरूरी तो कुछ में वैकल्पिक होता है। वहीं किसी से पैसा मंगाना है तो ऐप को खोलने के लिए MPIN का प्रयोग करना होगा। UPI PIN भी चार या छह अंकों का होता है। UPI PIN के बिना न तो किसी को पैसा भेजा जा सकता है और न ही अकाउंट का बैलेंस चेक किया जा सकता है। हालांकि पैसा लेने के लिए किसी भी प्रकार के पिन की जरूरत नहीं पड़ती। पैसे देने यानी पे करने के लिए इसकी जरूरत होती है।
ऐसे करते हैं ठगी
1. शिकार ढूंढना
जालसाज ओएलएक्स जैसी वेबसाइट पर अपना शिकार ढूंढते हैं। ये जालसाज उस शख्स को फोन करते हैं और कुछ महंगे सामान जैसे मोबाइल, लैपटॉप, वीइकल, फर्नीचर आदि खरीदने का नाटक रचते हैं।
2. दाम तय करना
बात करते हुए जालसाज सामान बेच रहे शख्स से मोलभाव कर एक दाम तय करता है। जालसाज 50% रकम शुरू में देने की बात कहता है और बाकी की रकम सामान खरीदने पर। ऐसे में सामान बेचने वाला शख्स भी लालच में आ जाता है।
3. नंबर मांगना
सामान की कीमत तय होने पर जालसाज पेमंट ऐप के जरिए ही भेजने की बात कहता है। फिर पेमंट ऐप का नाम और उससे जुड़ा मोबाइल नंबर मांगता है। सामान बेचने वाला शख्स जालसाजों को पेमंट ऐप से जुड़ा मोबाइल नंबर दे देता है।
4. Request Money
चूंकि डील पक्की हो चुकी होती है इसलिए ये जालसाज फोन पर बात करने के दौरान टोकन मनी की रकम अपने पेमंट ऐप से पैसे भेजने की जगह पैसे लेने यानी Request Money का ऑप्शन भेज देते हैं और सामने वाले शख्स से कहते हैं कि रकम भेज दी है, प्लीज आप उसे ओके कर दीजिए और UPI PIN डालकर बैलेंस चेक कर लीजिए।
5. UPI PIN
बातचीत के दौरान सामान बेचने वाला व्यक्ति मेसेज को ध्यान से पढ़ नहीं पाता। वह बस रकम देखता है और Pay को ओके समझकर उस पर टैप पर देता है। साथ ही बैलेंस चेक करने के लिए UPI PIN डाल देता है। ऐसा करते ही उसके पेमंट ऐप से पैसे कट जाते हैं और जालसाज के अकाउंट में आ जाते हैं।
6. फोन बंद करना
फोन डिस्कनेक्ट होने के बाद उस शख्स को पता चलता है कि उसके पेमंट ऐप से जालसाज ने पैसे अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा लिए हैं। जब जालसाज को फिर से फोन किया जाता है तो वह फोन नहीं उठाता या उसका मोबाइल नंबर बंद आता है।
इन बातों का रखें ध्यान
पैसे मांगने पर
यह पेमंट ऐप में Request के नाम से होता है। इसका अर्थ है कि जिस शख्स ने यह मेसेज भेजा है, वह आपसे पैसे मांगना चाहता है। अगर आपने Pay पर क्लिक करके UPI PIN डाल दिया तो आपके अकाउंट से पैसे उसके अकाउंट में चले जाएंगे।
सतर्क रहना है जरूरी
पैसे भेजने पर
अगर आप किसी शख्स को पेमंट ऐप के जरिए पैसे भेज रहे हैं, तो इसके लिए MPIN और UPI PIN की जरूरत होती है। बिना UPI PIN के किसी को भी पैसा नहीं भेजा जा सकता।
ऐसे समझें: यह ठीक उसी तरह है जैसे आप अपने बैंक में जाकर पैसे निकालते हैं। इसके लिए पैसे निकालने वाली स्लिप या चेक पर आपका साइन होना जरूरी है। UPI PIN ही एक तरह से आपका साइन है।
सतर्क रहें
पेमंट ऐप का प्रयोग करते समय सतर्क रहना बहुत जरूरी है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अनुसार, अगर पेमंट ऐप यूजर UPI PIN डाल देता है और उसके बाद उसके अकाउंट से रकम कट जाती है तो ऐसे में बैंक जिम्मेदार नहीं होता। ऐसे में पेमंट ऐप के यूजर को ही सतर्क रहना होगा।
अकाउंट में कम रखें रकम
अधिकतर पेमंट ऐप यूजर के बैंक अकाउंट से जुड़े होते हैं या वे उस ऐप के वॉलेट में पैसे रखते हैं। अगर किसी का एक ही बैंक अकाउंट है और उसमें बड़ी रकम है तो ऐसे में ठगी होने पर बड़ी रकम अकाउंट से निकाली जा सकती है। ऐसे में बेहतर होगा कि एक नया बैंक अकाउंट खुलवाएं और उसमें 10-15 हजार से ज्यादा रकम न रखें। इसी अकाउंट को पेमंट ऐप से कनेक्ट रखें। अगर किसी कारणवश पेमंट ऐप से ठगी होती है तो बड़ी रकम का नुकसान नहीं होगा।
बैंक का ऐप करें प्रयोग
ज्यादातर पेमंट ऐप थर्ड पार्टी होते हैं यानी ये बैंक के ऑफिशल ऐप नहीं होते। आज के समय में काफी बैंकों जैसे SBI, HDFC आदि के भी पेमंट ऐप हैं। बेहतर होगा कि बैंकों के ऐप का ही प्रयोग करें ताकि किसी भी प्रकार का गलत लेन-देन होने पर बैंक से सीधे शिकायत की जा सके।
इसलिए पकड़ में नहीं आते जालसाज
दरअसल जालसाज फर्जी डॉक्यूमेंट्स के जरिए निजी या छोटे बैंकों में अकाउंट खुलवा लेते हैं। साथ ही फर्जी डॉक्यूमेंट्स से सिम भी खरीद लेते हैं। फिर वे अपने मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट से पेमंट ऐप पर रजिस्टर करा लेते हैं और केवाईसी भी पूरी करा लेते हैं। इसके बाद ये जालसाज लोगों की रकम अपने बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करा लेते हैं। इस रकम को वे या तो एटीएम कार्ड के जरिए निकाल लेते हैं या शॉपिंग कर लेते हैं। चूंकि इनके डॉक्यूमेंट्स फर्जी होते हैं जिनके आधार पर बैंक अकाउंट से लेकर मोबाइल नंबर तक लिया होता है, इसलिए इन्हें पकड़ पाना मुश्किल होता है।
कस्टमर केयर बनकर चुरा रहे पैसे
हाल में जोमैटो के एक यूजर ने ऑर्डर कैंसिल करने और उसका रिफंड लेने के लिए लेकर कस्टमर केयर से बात करनी चाही। यूजर ने गूगल के जरिए जोमैटो का कस्टमर केयर नंबर लिया और फोन लगाया। वहां से कस्टमर से कहा गया कि वह Anydesk ऐप डाउनलोड करे। वहां बताई गईं डिटेल्स भरने के बाद एक कोड आएगा वह बता दे। पैसे उनके अकाउंट में आ जाएंगे। कुछ देर बाद उस यूजर के अकाउंट से पैसे निकल गए।
दरअसल, Anydesk ऐप के इस्तेमाल को लेकर रिजर्व बैंक ने भी चेतावनी जारी की है और इस ऐप को डाउनलोड नहीं करने को कहा है। इस ऐप के जरिए जलसाज कहीं भी बैठकर यूजर के फोन को ऐक्सेस कर उसका पूरा कंट्रोल अपने ले लेते है और UPI के जरिए पैसे की चोरी कर लेते हैं। ऐसा ही एक दूसरा ऐप है टीम व्यूअर। यह भी Anydesk के जैसे ही काम करता है।
ऐसे करते हैं धोखाधड़ी
- जालसाज खुद बैंक एग्जिक्यूटिव बनकर फोन करते हैं। कई बार ऐसे भी मामले सामने आए हैं जिनमें गूगल पर मौजूद गलत कस्टमर केयर नंबर पर यूजर खुद ही फोन कर देते हैं।
- इन दोनों ही मामलों में फर्जी बैंक अधिकारी बने जालसाज यूजर को Anydesk या टीम व्यूअर ऐप डाउनलोड करने के लिए कहते हैं।
- ऐप के डाउनलोड होने के बाद इन साइबर क्रिमिनल्स को 9 अंकों वाले रिमोट डेस्क कोड की जरूरत पड़ती है। ये जालसाज यूजर से 9 अंकों का कोड मांग लेते हैं। यह कोड मिलते ही वे यूजर के मोबाइल या कंप्यूटर स्क्रीन को आसानी से देख और कंट्रोल कर सकते हैं।
- जैसे ही यूजर अपने बैंक अकाउंट का यूजरनेम और पासवर्ड डालता है, ये जालसाज उसे नोट कर लेते हैं। इसके बाद अकाउंट से पैसे उड़ा देते हैं।
समझदारी से करें काम
स्क्रीन शेयर करने वाले किसी भी ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसके काम करने के तरीके को ढंग से समझ लेना बेहतर रहता है। बिना जानकारी ये ऐप यूजर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके साथ ही इस बात का जरूर ध्यान रखें कि कोई भी बैंक अपने ग्राहकों को थर्ड पार्टी ऐप डाउनलोड करने के लिए नहीं कहता है।
ऐंड्रॉयड डिवाइस पर ज्यादा खतरा
आईफोन की तुलना में ऐंड्रॉयड डिवाइसेज पर इस प्रकार से पैसे उड़ाने का ज्यादा खतरा होता है। दरअसल, ऐंड्रॉयड पर Anydesk स्कैमर्स आसानी से स्क्रीन को मॉनिटर और रिकॉर्ड कर सकते हैं। वहीं दूसरी आईफोन Anydesk ऐप को स्क्रीन कास्ट नहीं करने देता।
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