देहरादून। दून में खनन माफिया किसकी सरपरस्ती में धड़ल्ले से नदियों का सीना छलनी कर रहे, इस सवाल का जवाब शायद ही कोई दे पाए। जिले का शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण, हर जगह खनन माफिया पुलिस से दो हाथ आगे नजर आ रहे। अक्सर खनन माफिया और पुलिस के गठजोड़ भी उजागर हो चुके हैं और आरोपित पुलिसकर्मियों के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई भी हुई, लेकिन खनन माफिया की दबंगई बदस्तूर जारी है। 

शनिवार सुबह विकासनगर में ढकरानी के यमुना घाट पर हुई सिपाही को ट्रैक्टर ट्राली से कुचलने की घटना ने एक मर्तबा फिर ये साबित कर दिया कि खनन माफिया बेखौफ है व कहीं न कहीं उसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बड़े स्तर पर संरक्षण भी हासिल है। अवैध खनन को लेकर विकासनगर, वसंत विहार, कैंट, सहसपुर, डोईवाला, ऋषिकेश, राजपुर एवं रायपुर थाना क्षेत्र हमेशा विवादों में रहते हैं। गुजरे कुछ वर्षों से इन सभी क्षेत्र में नदियों में अवैध खनन जोरों पर चल रहा है।

पहले रात में चोरी-छिपे यह धंधा चल रहा था, पर आजकल दिनदहाड़े नदियों का सीना चीरा जा रहा। पांच वर्ष पूर्व जिले के तत्कालीन एसएसपी ने खुद सहसपुर, वसंत विहार व कैंट क्षेत्र में खनन के विरुद्ध डंडा उठाया था तो उसमें पुलिस भी सवालों का हिस्सा बनी थी। माफिया व पुलिस की एक क्लीपिंग मिली थी, जिसमें दारोगा-सिपाही आसन नदी से अवैध खनन कर रहे ट्रकों व ट्रॉलियों को सुरक्षा देते नजर आ रहे थे। इस मामले में विकासनगर की डाकपत्थर चौकी के सिपाहियों को सस्पेंड किया गया। 

खनन माफिया के सरपरस्तों में सफेदपोशों का भी बड़ा हाथ माना जाता है। जब कभी पुलिस-प्रशासन इनके विरुद्ध डंडा उठाते हैं, हर बार सफेदपोश आड़े आ जाते हैं। सड़क पर हंगामा, प्रदर्शन व नारेबाजी तक की जा चुकी है। इतना जरूर है कि सफेदपोशों का चेहरा कभी उजागर नहीं हुआ जबकि जिला पुलिस सीधे टारगेट पर रही। विकासनगर में शनिवार को हुए ताजा मामले में पुलिस की छवि भले बेदाग रही, लेकिन खनन माफिया की दबंगई ने यह साबित कर दिया कि उसे पुलिस-प्रशासन का कोई खौफ नहीं।

पुलिस पर भी उठती रही है उंगली

सांठगांठ के इस 'खेल' में पुलिस की भूमिका संदेह से परे नही हैं। दो साल पूर्व सितंबर 2017 में यह खुलासा हुआ था कि पुलिस खुद 'खनन-मार्ग' का ख्याल रखती है और खनन वाहनों को सुरक्षा प्रदान कर रही है। इसमें विकासनगर थाने की कुल्हाल चौकी पुलिस सस्पेंड हुई और एक हफ्ते के बाद रायपुर के निरीक्षक, एक दरोगा समेत चार पुलिसकर्मियों पर गाज गिरी। इतना ही नहीं मार्च-2017 में विकासनगर थाने की हरबर्टपुर पुलिस चौकी की गिरफ्त से खनन माफिया पांच सीज डंपर चौकी के बाहर से खुलेआम छुड़ा ले गए थे। मामला जमकर उछला लेकिन पुलिस अधिकारी मौन साधे रहे। इसके बावजूद खाकी और माफिया की सांठगांठ कम नहीं हुई। 

ओवरलोडिंग पर भी नहीं लगाम

खनन माफिया की आड़ में वैध तरीके से रेत-बजरी लाने वाले ट्रकों की ओवरलोडिंग रोकने में भी पुलिस नाकाम साबित हो रही। दूसरे राज्यों से क्रशर से खनन सामग्री लाने का दावा करने वाले ट्रकों में अधिकृत सीमा से दोगुना माल लादकर लाया जा रहा। हर मार्ग पर पुलिस बैरियर होने के बावजूद ट्रक बेधड़क निकल जाते हैं। 

सीसीटीवी कैमरे के आदेश भी हवा
दून-पांवटा, दून-हरिद्वार हाईवे समेत खनन से जुड़े तमाम मार्गों पर ओवरलोड ट्रकों को रोकने के लिए दिए प्रशासन के सीसीटीवी कैमरों के आदेश हवाई साबित हो रहे हैं। जून-2012 में तत्कालीन डीएम व एसएसपी ने सीसीटीवी कैमरों के साथ ही फ्लाइंग स्क्वायड नियुक्त करने के दावे किए थे, लेकिन अफसरों के जाते ही दावे फाइलों में सिमटकर बंद हो गए। 

हरिद्वार में भी यही स्थिति
दून की तरह हरिद्वार जनपद में भी अवैध खनन का धंधा जोरों ने फलफूल रहा। बीते दिनों एसएसपी हरिद्वार ने गुप्त चेंकिंग कराई तो इसका खुलासा हुआ। हरिद्वार में चेकिंग के दौरान पुलिस-प्रशासन पर हमले के कईं मामले सामने आ चुके हैं।

खनन माफिया की दबंगई का अड्डा बन चुका है पछवादून

विकासनगर: पछवादून में खनन माफिया पुलिस, प्रशासन व वन विभाग की टीम पर दबंगई दिखाकर लगातार हमले कर रहे हैं। प्रभावी कार्रवाई न होने से माफिया बेखौफ हैं। न तो ये अधिकारियों को धमकी देने से बाज आते, न ही हमले करने से। गुजरे छह साल में ही पुलिस व प्रशासन की टीम पर जानलेवा हमले के करीब 10 मामले सामने आ चुके हैं। विकासनगर क्षेत्र में यमुना का एक किनारा उत्तराखंड और दूसरा किनारा हिमाचल प्रदेश में लगता है। दोनों प्रदेशों के बीच यमुना का सीमांकन भी नहीं है। जिस वजह से पुलिस और प्रशासन की छापेमारी यहां बेअसर साबित होती है। जब माफिया के विरुद्ध उत्तराखंड के अधिकारी छापे की कार्रवाई करते हैं तो माफिया उन पर हमले, पथराव जैसी कार्रवाई करते हैं या हिमाचल की सीमा में भाग जाते हैं। कुछ वर्ष पहले विकासनगर तहसील की तत्कालीन नायब तहसीलदार शालिनी नेगी व ऋचा सिंह की सरकारी गाड़ि‍यां पलटने का प्रयास भी हो चुका है। 
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