नई दिल्ली I नागरिकता कानून पर भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को कड़ा जवाब दिया है. भारत ने कहा कि हम पाकिस्तान के पीएम की टिप्पणी को अस्वीकार करते हैं. पाक पीएम की टिप्पणी भारत के प्रति उनकी घृणा और पूर्वाग्रह का परिचायक है. दरअसल, इमरान खान ने जेनेवा में ग्लोबल रेफ्यूजी फोरम में भारत के नागरिकता संशोधन कानून और कश्मीर मुद्दे को लेकर कहा कि इससे दक्षिण एशिया में ना केवल शरणार्थियों की समस्या पैदा हो जाएगी बल्कि ये परमाणु संपन्न शक्ति देशों के बीच संघर्ष को भी जन्म दे सकता है.

पाक पीएम को जवाब देते हुए भारत ने कहा कि इमरान खान अपने देश और वहां के लोगों की चिंता करें. संयक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजीव चंदर ने कहा कि हम इमरान खान की इस बेतुकी और निराधार टिप्पणी को पूरी सख्ती से खारिज करते हैं. पाकिस्तान स्वघोषित रूप से मानवाधिकार का हिमायती बनता है जबकि वहां के अल्पसंख्यकों की संख्या जोकि 1947 में 23 पर्सेंट थी, अब तीन पर्सेंट पर आ चुकी है. पाकिस्तान में कठोर ईशनिंदा कानून, एक प्रक्रिया के तहत उत्पीड़न और जबरन धर्मांतरण इसका मुख्य कारण हैं.

उन्होंने आगे कहा कि भारत के लोगों को यह जरूरत नहीं है कि उनके लिए कोई और बोले. कम के कम वे लोग तो ना ही बोलें, जिन्होंने नफरत के आधार पर आतंकवाद की इंडस्ट्री बना रखी है. पाकिस्तान और उनके प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए यही अच्छा होगा कि वह अपने देश और अपने लोगों के कल्याण के लिए काम करें.

इमरान खान ने क्या कहा था
इससे पहले इमरान खान ने कहा था कि हमें पाकिस्तान में बस यही चिंता हो रही है कि भारत के फैसलों से शरणार्थियों की समस्या पैदा हो जाएगी और इसकी परिणति दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच संघर्ष के रूप में हो सकती है. इमरान ने आरोप लगाया कि भारत कश्मीर की मुस्लिम बहुल जनसांख्यिकी को बदलने की कोशिश कर रहा है.

इमरान खान ने कहा कि कश्मीर में कर्फ्यू और नए नागरिकता कानून की वजह से लाखों मुस्लिम भारत से भाग सकते हैं जिससे रिफ्यूजी संकट पैदा हो सकता है. इस शरणार्थी संकट के सामने बाकी समस्याएं बौनी हो जाएंगी.

उन्होंने कहा कि भारत के मुसलमानों को नागरिकता से वंचित करने के लिए यह कानून बनाया गया है. भारतीय मुसलमानों के अधिकार छीने जा रहे हैं. इस कानून के खिलाफ भारत में दंगे हो रहे हैं और लोग सड़कों पर हैं.
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