नई दिल्ली: झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. जेएमएम को 30 सीटें मिली हैं. झारखंड में जेएमएम-कांग्रेस की जीत के हीरो रहे हेमंत सोरेन का सीएम बनना तय है. सुबह ग्यारह बजे रांची में जेएमएम विधायक दल की बैठक होने वाली है जिसमें उन्हें नेता चुना जाएगा. 44 साल के हेमंत सोरेन ने गठबंधन की धार से रघुवर सरकार के किले को ध्वस्त कर दिया है.
महागठबंधन ने चुनाव पूर्व ही हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया था इसलिए उनके सीएम बनने की औपचारिकता ही बाकी है. सूत्रों के मुताबिक हेमंत सोरेन 28 दिसंबर को सीएम पद शपथ ले सकते हैं. हेमंत सोरेन के साथ कांग्रेस के कोटे से किसी को डिप्टी सीएम की शपथ दिलाई जाएगी.
मेकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़कर पिता की बिरासत संभालने वाले हेमंत सोरने के पास राजनीति का अच्छा तजुर्बा है, लेकिन सबको साथ लेकर चलने की चुनौती बड़ी है. लेकिन फिलहाल उन्होंने बीजेपी के विरोधियों को उम्मीद की एक नई किरण दिखाई है. ये अपने आपने आप में रिकॉर्ड है कि झारखंड के 19 साल के छोटे से इतिहास में पांचवीं बार सोरेन परिवार के हाथों में सत्ता है.
हेमंत के पिता शिबु सोरेन 3 बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चके हैं. जबकि हेमंत सोरेन दूसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. 2005 में हुए चुनावों में JMM को 17 सीटें मिलीं फिर 2009 में 18 सीटें 2014 में 19 सीटें और इस बार यानी 2019 में सीधे 30 सीटें मिली हैं.
जीत के बाद क्या बोले हेमंत सोरेन?
अपनी विराट जीत के बाद हेमंत सोरेन ने कहा, ''भरोसा दिलाता हूं कि उनकी उम्मीदें नहीं टूटेंगी, चाहें वो किसी भी वर्ग या समुदाय से हों. नौजवान, किसान, व्यापारी, मजदूर, बूढ़े बच्चे हों या पत्रकार मित्र क्यों ना हों?'' हेमंत सोरेन ने कहा, 'मेरे लिए आज का दिन संकल्प लेने का है. इस राज्य की जनता का, यहां के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने का दिन है. और आज का ये जनादेश शिबू सोरेन जी के समर्पण और परिश्रम का परिणाम है. जिस उद्देश्य के लिए ये राज्य लिया गया था, आज उन उद्देश्यों को पूरा करने का वक्त आ गया है.''
इस जीत में कांग्रेस के लिए क्या है?
झारखंड की इस जीत में कांग्रेस के लिए भी काफी कुछ है. भले ही उसे सिर्फ 16 सीटें मिली हों लेकिन गठबंधन की इस राजनीतिक का गोंद कांग्रेस पार्टी ही है. गठबंधन वाला ये प्रयोग पहले महाराष्ट्र में हुआ और फिर अब कांग्रेस का यही प्रयोग झारखंड में भी सफल रहा है. यही वजह है कि पिछले विधानसभा में 37 सीट जीतने वाली बीजेपी 25 सीटों पर सिमट गई. जबकि जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन को 47 सीटें मिली हैं. बीजेपी से अगल होकर चुनाव लड़ने वाली सुदेश महतो की पार्टी आजसू को 1 सिटें मिली हैं, जबकि झारखंड विकास मोर्चा को 3 सीटें मिली हैं.
पिछले एक साल में 5 राज्यों में हारी BJP
आंकड़ों का विश्लेषण बताता है कि जिन राज्यों में बीजेपी की उसके अपने दम पर या सहयोगियों के साथ सरकार है वहां आबादी करीब 43 प्रतिशत है जबकि दो साल पहले 69 फीसदी से अधिक आबादी वाले राज्यों में बीजेपी की सरकार थी. पार्टी के लिए यह चिंता की बात है कि 2018 से राज्यों के चुनाव में उसका ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है. वह इस अवधि में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्ता खो चुकी है. लोकसभा चुनाव में उसकी जबरदस्त जीत भी राज्यों में लाभ दिलाने में कामयाब नहीं रही.
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