नई दिल्ली । चीन में फैले कोरोना वायरस की वजह से भारत में दवाइयों की किल्लत की आशंका को देखते हुए सरकार ने मंगलवार को 26 प्रकार के बल्क ड्रग्स(कच्चेमाल) के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि, सरकार की इजाजत लेकर निर्यातक इन ड्रग्स का निर्यात कर सकते हैं। दवा कंपनियां इन ड्रग्स के निर्यात पर रोक की मांग कर रही थी, ताकि घरेलू स्तर पर दवा बनाने के लिए कच्चे माल की कमी न हो।
सरकार की तरफ से पिछले सप्ताह 54 प्रकार के दवाइयों से जुड़े बल्क ड्रग्स की समीक्षा की गई थी। इनमें से 34 प्रकार के बल्क ड्रग्स को अति आवश्यक श्रेणी में रखा गया था। इनके निर्यात पर सरकार लगातार नजर रख रही है।
फेडरेशन ऑफ फार्मा एंट्रेप्रेन्योर्स के कार्यकारी सचिव सुदेश कुमार के मुताबिक, कच्चे माल की कमी होने से पिछले 15 दिनों में दवा निर्माण की लागत 30-40 फीसद तक बढ़ चुकी है। लेकिन दवा के दाम पर सरकारी नियंत्रण होने की वजह से फिलहाल आम उपभोक्ताओं को बढ़ी कीमत नहीं देनी पड़ रही है।
भारत दवा निर्माण के लिए 70 फीसद बल्क ड्रग्स का आयात चीन से करता है। लेकिन चीन से फिलहाल सप्लाई बंद है। घरेलू स्तर पर भी जो बल्क ड्रग्स बन रहे थे, उनका निर्यात किया जा रहा था। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के विदेश व्यापार महानिदेशालय की तरफ से मंगलवार को 26 बल्क ड्रग्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। इनमें पैरासिटामोल भी शामिल है।
चीन से बल्क ड्रग्स की सप्लाई रूक जाने के बाद से 250 रुपए किलोग्राम बिकने वाले पैरासिटामोल की कीमत 415 रुपए के स्तर पर पहुंच गई थी। एंजीथ्रोमाइसिन की कीमत 30,000 रुपए प्रति किलोग्राम से बढ़कर 55,000 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई। ऐसे ही, अन्य प्रकार के कई बल्क ड्रग्स की कीमत में 50 फीसद तक का इजाफा हो चुका है।
सरकार के आदेश के बाद भारत से बल्क ड्रग्स निर्यात करने वाले निर्यातकों को पहले सरकार से इजाजत लेनी होगी। अभी बिना सरकारी इजाजत के बल्क ड्ग्स का निर्यात कर सकते थे। हिमाचल प्रदेश फार्मा मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के चीफ एडवाइजर सतीश सिंघल ने बताया कि चीन भारत समेत विश्व के कई देशों को बल्क ड्रग्स की सप्लाई करता है। फिलहाल वहां से सप्लाई रूकने की वजह से यूरोपीय देश भारत से बल्क ड्रग्स मंगा रहे थे। भारत का सालाना बल्क ड्रग्स का आयात 3.5 अरब डॉलर का है। भारत सालाना 22.5 करोड़ डॉलर के बल्क ड्रग्स का निर्यात करता है।
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