हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर जिले के बाद नैनीताल जिले के भी करीब 40 स्टोन क्रशर स्वामियों ने रविवार से बेमियादी हड़ताल शुरू कर दी है। हड़ताल के चलते पहले दिन करीब दो करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ, वही सरकार को भी लाखों के राजस्व का नुकसान हुआ। हड़ताल के कारण बाहरी क्षेत्रो में उपखनिज ले जाने वाले सैकड़ों वाहनों के चक्के भी जाम रहे।
ट्रांसपाेर्ट कारोबार पर प्रतिकूल असर
शासन-प्रशासन पर उत्पीडऩ का आरोप लगाते हुए अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत कुमाऊं स्टोन क्रशर एसोसिएशन के तत्वावधान नैनीातल जनपद के रामनगर, बेतालघाट, लालकुआं व हल्द्वानी के करीब 40 क्रशर संचालकों ने रविवार से अपने क्रशरों में उपखनिजों की खरीद-फरोख्त बंद कर दी। जिससे क्रशरों में उपखनिज ले जाने वाले उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के सैकड़ों वाहनों के चक्के जाम हो गए। इससे ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
पूर्व के मानक पूरे हुए बगैर नए मानक थोप दिए
इधर कुमाऊं स्टोन क्रशर एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल का कहना है विक सभी मानकों को पूरा करने के बाद ही क्रशर संचालकों को 2021 तक पर्यावरणीय स्वीकृति मिली थी और केंद्र सरकार ने उनके क्रशरों को रेड केटेगरी से आरेंज केटेगरी में परिवर्तित किया है। उन्होंने कहा कि जब से क्रशर स्थापित हुए हैं तभी से खनन नीति में बार-बार बदलाव किए जा रहे हैं, जिससे क्रशर संचालक परेशान हो उठे हैं। जब तक पूर्व निर्धारित नीति के मानक पूरे किए जाते हैं शासन द्वारा दूसरी नीति बनाकर नए मानक थोप दिए जाते हैं।
क्रशर जोन में क्रशर लगाने को राजी
कहा कि क्रशर स्वामी हाई कोर्ट के आदेशों को पूरी तरह से पालन करने को तैयार हैं परंतु शासन-प्रशासन द्वारा हाई कोर्ट के आदेशों को ढाल बनाकर उनका बेवजह उत्पीडऩ किया जा रहा है। उन्होंने कहा अगर सरकार क्रशर जोन बनाती है तो वह अपने क्रशर वहां लगाने को राजी हैं। उन्होने कहा कि प्रशासन के उत्पीडऩ से वह इतने तंग आ चुके हैं कि यहां से पलायन करने का मन बना चुके हैं। एलान किया कि जब तक उनका उत्पीडऩ बंद नहीं होगा तब तक वह हड़ताल जारी रखेंगे।
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