मुंबई: मुंबई की आरे कॉलोनी में हुई पेड़ों की कटाई का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. शीर्ष अदालत ने इसके लिए विशेष पीठ गठित की है. शीर्ष अदालत ने पेड़ों को गिराये जाने के खिलाफ रिषव रंजन नाम के शख्स के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को लिखे पत्र के आधार पर विशेष पीठ का गठन किया है. शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर तत्काल सुनवाई करने के बाबत नोटिस डाला गया है.
इसके अनुसार, ‘‘संज्ञान लिया जाए कि मामले में कल सात अक्टूबर, 2019 को सुबह 10 बजे सुनवाई के लिए विशेष पीठ का गठन किया गया है. महाराष्ट्र राज्य के आरे वन्य क्षेत्र में पेड़ गिराये जाने के संबंध में रिषव रंजन के छह अक्टूबर, 2019 के पत्र के आधार पर यह निर्णय लिया गया है और इस पत्र को जनहित याचिका के तौर पर दर्ज किया गया है.’’
मेट्रो की रेक का डिपो बनाने के लिए पेड़ काटे जा रहे हैं. बंबई हाई कोर्ट ने पेड़ काटने के मुंबई नगर निगम के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को शुक्रवार को खारिज कर दिया था. हाई कोर्ट ने शनिवार को पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
पर्यावरण कार्यकर्ता उत्तरी मुंबई की आरे कॉलोनी में मुंबई मेट्रो रेल निगम लिमिटेड (एमएमआरसीएल) द्वारा पेड़ काटे जाने का विरोध कर रहे हैं. शुक्रवार रात और शनिवार को पुलिस ने 29 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया था. सभी को रविवार को शर्तों के साथ जमानत दी गई.
पुलिस ने शनिवार को आरे कॉलोनी में सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी थी. इसकी मियाद आज तक के लिए बढ़ा दी गई है. आरे कॉलोनी में करीब 27 पेड़ हैं. ज्यादातर पेड़ों की पिछले दो दिनों में कटाई हो चुकी है. एक अधिकारी ने रविवार को बताया कि 'वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे' के पास मुख्य संपर्क सड़क समेत आरे कॉलोनी के पांच प्रवेश केन्द्रों पर भारी सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है ताकि लोगों को इलाके में घुसने से रोका जा सके.
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