देहरादून I झारखंड, छत्तीसगढ़ समेत देश के अन्य राज्यों की तर्ज पर उत्तराखंड में भी एक ही सहकारी बैंक रहेगा। जिला सहकारी बैंकों का राज्य सहकारी बैंक में विलय की तैयारी है। इसके लिए सरकार प्रदेश में सहकारिता में टू-टायर सिस्टम लागू करने पर गंभीरता से मंथन कर रही है। इस व्यवस्था के अमल में आने से प्रदेश में जहां सहकारी बैंक सशक्त होगा, वहीं प्रतिस्पर्धा के मौजूदा दौर में वह सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के बैंकों को कड़ी टक्कर देेने में सक्षम हो सकेगा।
बदली परिस्थितियों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने पर केंद्र सरकार का जोर है तो क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को सशक्त बनाने के मद्देनजर उनका एकीकरण हो रहा है। इस कड़ी में प्रदेश सरकार भी कदम बढ़ाने जा रही है, जिसके तहत राज्य का एक ही सहकारी बैंक बनाने की योजना है।
वर्तमान में जिला स्तर पर जिला सहकारी बैंक अपनी 274 शाखाओं के माध्यम से कार्यरत हैं, जबकि प्रदेश स्तर पर उत्तराखंड राज्य सहकारी बैंक 15 शाखाओं के साथ।प्रदेश के 10 जिला सहकारी बैंकों के प्रशासनिक व्यय में बड़ी रकम खर्च होने से चिंता बढ़ी है। इससे पार पाने के साथ ही सहकारी बैंक को अन्य बैंकों से प्रतिस्पर्धा को तैयार करने के मद्देनजर एक ही राज्य सहकारी बैंक बनाने को लेकर गंभीरता से मंथन चल रहा है।
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