देहरादून I लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज राजधानी देहरादून में आयोजित विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 79वें दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। वह आज सुबह पांच बजे ट्रेन से देहरादून पहुंचे। 
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद अजय भट्ट, महानगर अध्यक्ष विनय गोयल, मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक हरबंस कपूर सहित कई भाजपा नेताओं ने उनका हर्रावाला रेलवे स्टेशन पर स्वागत किया। सुबह 10 बजकर 15 मिनट पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने देहरादून स्थित एक होटल में पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का उद्घाटन किया। इससे पहले उन्होंने परेड का निरीक्षण किया।

उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक समेत प्रदेश सरकार के मंत्री, शहर के विधायक व पूर्व विधायक भी उपस्थित रहे। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने लोस अध्यक्ष व पीठासीन अधिकारियों का स्वागत किया और उसके बाद लोस अध्यक्ष का उद्बोधन होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी सम्मेलन में आए अतिथियों को संबोधित करेंगे।

आज सम्मेलन के विधिवत उद्घाटन के बाद संविधान की 10वीं अनुसूची के अंतर्गत दलबदल करने वाले सदस्यों की सदस्यता समाप्त करने में अध्यक्ष की भूमिका विषय पर मंथन होगा। सम्मेलन में लोस व राज्यसभा तथा राज्यों के विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारी अपने अनुभवों को साझा करेंगे।

अध्यक्ष की भूमिका पर होगी चर्चा

सम्मेलन के दौरान दो प्रमुख विषयों पर चर्चा होगी। पहली चर्चा संविधान की 10वीं अनुसूची में अध्यक्ष की भूमिका विषय पर होगी। संविधान प्रदत्त प्रावधानों के तहत कोई सदस्य अयोग्य है कि नहीं, ऐसे प्रकरणों में प्रत्येक सभापति या अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होता है। चर्चा का एक और महत्वपूर्ण विषय है शून्यकाल सहित सभा के अन्य साधनों के माध्यम से संसदीय लोकतंत्र का सुदृढ़ीकरण तथा क्षमता निर्माण है। 

तीन समितियां देंगी सिफारिशें
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अगस्त 2019 को पीठासीन अधिकारियों की बैठक में तीन अहम समितियां गठित की थीं। ये तीनों समितियां सम्मेलन में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेंगी। लोकसभा की महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव ने बताया कि विधान मंडलों के कार्य में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग का मूल्यांकन करने को सभापति असम विधानसभा अध्यक्ष हितेन्द्र नाथ गोस्वामी के अधीन समिति बनाई।

सभा के सुचारु कार्यवाही संबंधी मामले पर विचार करने संबंधी समिति के सभापति उत्तरप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित हैं। विधान मंडल सचिवालयों की वित्तीय स्वायत्तता के मामले के लिए सभापति राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के अधीन समिति बनाई है।
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