रुड़की I सरकार एक ओर हर चीज को डिजिटल करने की योजना पर काम कर रही है, वहीं पोस्ट ऑफिस के नीति नियंताओं द्वारा आधुनिक टैक्नोलॉजी के अनुरूप आरआईसीटी (ग्रामीण सूचना संचार प्रौद्योगिकी) मशीन न दिए जाने से रुड़की सब डिवीजन की 48 मशीनों में से अधिकांश मशीनें बंद पड़ी हैं।
ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों के पोस्टमास्टर मैन्युअल काम करने को मजबूर हैं। मशीनों के खराब होने से उपभोक्ताओं को भी डाकघर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। डाक विभाग की ग्रामीण सूचना संचार प्रौद्योगिकी परियोजना के तहत ग्रामीण डाकघरों के कामकाज को डिजिटल करने के लिए पिछले साल अक्तूबर में रुड़की सब डिवीजन में 48 ग्रामीण डाकघरों में 48 मशीनें बांटी गई थीं।

रुड़की सब डिवीजन में रुड़की के 14 शाखा डाकघर, हरिद्वार के 21 और देहरादून के 13 शाखा डाकघर हैं। मशीनें बांटने के चंद दिनों बाद ही इन्होंने काम करना बंद कर दिया था। बताया जा रहा है कि आरआईसीटी (ग्रामीण सूचना संचार प्रौद्योगिकी) मशीन टू जी वर्जन की है, जबकि इस पर लगा सिम फोर जी वाला है। सूत्रों का कहना है कि रुड़की क्षेत्र की 14 मशीनों में से 10 मशीनें खराब पड़ी हैं।

मात्र चार मशीनें ही काम कर रही हैं। यही हालत हरिद्वार और देहरादून के भी हैं। पोस्टमास्टरों का कहना है कि डाक विभाग द्वारा उन्हें जो आरआईसीटी मशीन दी गई हैं, वे अत्याधुनिक नहीं हैं। जिन शाखा डाकघरों में ये मशीनें चल रही हैं, उनमें दो बार ट्रांजिक्शन करने के बाद मशीन हैंग हो रही है। ऐसे में शाखा डाकघरों में लेनदेन करने के लिए आने वाले उपभोक्ताओं को भी परेशानी हो रही है।

ग्रामीणों का डाकघरों से मोहभंग

इंतजार करने वाले कई उपभोक्ताओं की पोस्टमास्टरों के साथ बहस हो रही है। डाकघर की योजनाओं का लाभ उठाने वाले ग्रामीणों का भी डाकघरों से मोहभंग हो रहा है। वहीं पोस्टमास्टर भी विभाग की ओर दिए लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। 

इन मशीनों से ये होता है काम 

पीएलआई, सुकन्या योजना, टीडी, आरडी व सेविंग बैंक आदि।

कई आरआईसीटी में नेटवर्क न आने की शिकायतें आ रही हैं। ये टू जी मशीनें हैं। इन पर फोर जी सिम है। सिम बदलने के लिए मुख्यालय को लिखा गया है। जिन शाखा डाकघरों में मशीनें काम नहीं कर रही हैं, वहां मैन्युअल काम लिया जा रहा है। जल्द ही मशीनों को ठीक कराया जाएगा।  
महेंद्र सिंह, सहायक अधीक्षक डाकघर रुड़की सब डिवीजन 
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