नई दिल्ली I नागरिकता कानून के विरोध में असम जल रहा है. कई अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में भी इस कानून के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन हो रहा है. मध्य प्रदेश और केरल समेत कई राज्यों ने इस कानून को संविधान विरोधी बताते हुए राज्य में लागू करने से मना कर दिया है. पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने CAB मुद्दे पर 'आजतक' से खास बातचीत के दौरान मोदी सरकार को कई मुद्दों पर घेरा.

CAB को कौन बता रहा है संवैधानिक?
पी चिदंबरम से सवाल किया गया कि सरकार का कहना है कि नागरिकता कानून के नाम पर विपक्ष लोगों के मन में डर पैदा कर रहा है कि देश हिंदू राष्ट्र की दिशा में आगे बढ़ रहा है. बिल पूरी तरह से संवैधानिक है और इसे बेवजह मुस्लिम विरोधी कहा जा रहा है. इस सवाल पर पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि कौन इस कानून को संवैधानिक बता रहा है? पिछले दो महीनों में केंद्र सरकार ने जो भी कानून बनाए हैं वो कोर्ट में फंस गए हैं. इस बिल में काफी विसंगतियां है. बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है. इसलिए यह कानून भी सुप्रीम कोर्ट में गिर जाएगा. ये सिर्फ मैं ही नहीं कह रहा हूं. सोली सोराबजी, रिटायर्ड जस्टिस मदन बी लोकुर और संतोष हेगड़े भी ऐसा कह रहे हैं.
मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए चिदंबरम ने कहा कि उन्हें यह कानून लाने की सलाह किसने दी? सरकार पर असफल रहने का आरोप लगाते हुए चिदंबरम ने कहा कि मोदी सरकार जब भी अपनी नीतियों में फेल दिखने लगती है तो वो पुराने मुद्दों पर बात करने लगती है. इस बिल का 'मजनू का टीला' से कोई लेना-देना नहीं है. कोई भी निर्णय जल्दबाजी में न लें. लोगों से बात कीजिए.

नागरिकता कानून का मकसद सिर्फ मुस्लिमों को बाहर रखना
वहीं केंद्र सरकार पर 'हिंदू राष्ट्र' को ध्यान में रखकर काम करने का आरोप लगाते हुए पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि हिंदुत्व मोदी सरकार के एजेंडे में शामिल है. नागरिकता कानून को लागू करने का मतलब सिर्फ मुस्लिमों को बाहर रखना है. पलायन को रोका नहीं जा सकता है. पहले सभी मुल्क एक साथ था इसलिए लोग पैसे की चाहत में भारत आते हैं.

चिदंबरम ने कहा कि मान लीजिए सरकार एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून लागू करती है लेकिन उसके बाद जो लोग बचेंगे उसका क्या होगा? सरकार उनके साथ क्या करने जा रही है? इस बारे में सरकार की तरफ से अब तक कोई जवाब नहीं आया है.

जो लोग इस दायरे में नहीं आएंगे उनका क्या?
मान लीजिए आप उनसे वोट देने का अधिकार छीन लेते हैं तो क्या आप उनसे काम करने का अधिकार छीन लेंगे? क्या आप उनके जीने का अधिकार छीन लेंगे? यह मानवाधिकार है जिसे छीना नहीं जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस कानून से कुछ बदलने वाला नहीं है. यह कोशिश सिर्फ राजनीतिक बवाल के लिए है जिससे कि लोगों का ध्यान देश की कमज़ोर अर्थव्यवस्था से हटाया जा सके.

2008 से 2019 की तुलना ठीक नहीं
साल 2008 और वर्तमान अर्थव्यवस्था की तुलना पर चिदंबरम ने कहा कि साल दर साल तुलना करना ठीक नहीं है. आपको तबके हालात और अब के हालात पर ध्यान देना होगा. 2008 में विश्व मंदी के दौर से गुजर रहा था.

वर्तमान हालात पर उन्होंने कहा कि सरकार यह समझ नहीं पा रही है कि सिर्फ मार्केट को बूस्ट करना सॉल्यूशन नहीं है क्योंकि बाजार में डिमांड घटी है. इसलिए सरकार को लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाने पर विचार करना चाहिए.

निर्मला सीतारमण होते तो क्या करते?
उनसे जब पूछा गया कि अगर वो निर्मला सीतारमण होते तो क्या करते? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि सबसे पहले इस्तीफा देता. क्योंकि सरकार में रहने के नाते अगर मेरी नीतियों का फायदा नहीं हो रहा है तो फिर जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ देना चाहिए.
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