जयपुर. बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक में अपनी दमदार एक्टिंग की वजह से लाखों लोगों के दिलों पर राज करने वाले अभिनेता इरफान खान अब हमारे बीच नहीं हैं। बुधवार को मुंबई में उन्होंने अंतिम सांस ली। राजस्थान के टोंक और जयपुर में पले बढ़े इरफान का यहां से हमेशा खास रिश्ता रहा। जयपुर में बचपन की पढ़ाई और कॉलेज के बाद उन्होंने मुंबई का रुख जरूर किया, लेकिन राजस्थान हमेशा उनके दिल में रहा। इरफान को खोने की खबर ने उनके बचपन के साथियों को झकझोर कर रख दिया है। राजस्थान में इरफान के तीन दोस्तों की जुबानी पढ़िए अपने चहेते हीरो से जुड़ी कहानियां:
बचपन के साथी से जानिए किस तरह इरफान ने उनकी बचाई जान, आज है सीनियर आईपीएस
भास्कर संवाददाता ने सबसे पहले बात कि इरफान के बचपन, स्कूल और कॉलेज में साथी रहे राजस्थान में सीनियर आईपीएस हैदरअली जैदी से। वे फिलहाल भरतपुर एसपी है। भावुक मन से हैदर अली ने कॉलेज के दिनों की यादें ताजा करते हुए कहा कि वे राजस्थान कॉलेज में सेकंड ईयर में थे। एक दिन वे कॉलेज से लौटते वक्त अजमेरी गेट बस स्टैंड पहुंचे। यहां टिकट विंडों की गुमटी पर लगा बिजली का तार कटकर पीछे लगी रेलिंग को छू रहा था। दोस्तों से बातचीत में मशगूल हैदरअली का हाथ जैसे ही लोहे की रेलिंग पर गया। तेजी से करंट उनके शरीर में दौड़ने लगा।वे कांपने लगे। यह देखकर वहां मौजूद तीन-चार दोस्त घबराकर भाग गए। तब वहां इरफान ने लकड़ी की मदद से उन्हें दूर कर उनकी जान बचाई।
भास्कर संवाददाता ने सबसे पहले बात कि इरफान के बचपन, स्कूल और कॉलेज में साथी रहे राजस्थान में सीनियर आईपीएस हैदरअली जैदी से। वे फिलहाल भरतपुर एसपी है। भावुक मन से हैदर अली ने कॉलेज के दिनों की यादें ताजा करते हुए कहा कि वे राजस्थान कॉलेज में सेकंड ईयर में थे। एक दिन वे कॉलेज से लौटते वक्त अजमेरी गेट बस स्टैंड पहुंचे। यहां टिकट विंडों की गुमटी पर लगा बिजली का तार कटकर पीछे लगी रेलिंग को छू रहा था। दोस्तों से बातचीत में मशगूल हैदरअली का हाथ जैसे ही लोहे की रेलिंग पर गया। तेजी से करंट उनके शरीर में दौड़ने लगा।वे कांपने लगे। यह देखकर वहां मौजूद तीन-चार दोस्त घबराकर भाग गए। तब वहां इरफान ने लकड़ी की मदद से उन्हें दूर कर उनकी जान बचाई।
'संघर्ष के दिनों में भूखे सोना पड़ा, लेकिन हार नहीं मानी, वो एक रियल फाइटर था'
एसपी हैदर अली जैदी ने कहा कि स्कूल व कॉलेज में साथ पढ़ने के अलावा हम लोग जयपुर के सुभाषचौक क्षेत्र में पड़ोसी भी रहे हैं। इरफान नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में चले गए। जहां उन्होंने काफी संघर्ष किया। इस बीच हम दोनों लगातार मिलते रहे। उन्होंने बताया कि संघर्ष के दिनों में इरफान लोकल ट्रेन में सफर करता था और कई बार उसे भूखा रहते हुए सोना पड़ता था। इरफान की मां की भी चार दिन पहले मौत हुई है। इरफान के पिता के निधन के बाद वे चाहती थी कि इरफान नौकरी करें। लेकिन इरफान को एक्टिंग का नशा सवार था। 2018 में इरफान के कैंसर से पीड़ित होने की जानकारी मिलने पर हैदर अली खुद इंग्लैंड गए। कुछ दिन वहां इरफान के साथ वक्त बिताया। जैदी के मुताबिक इरफान ने कभी बीमारी को लेकर बात नहीं की। वह हमेशा उनके खाने पीने की चिंता करता और बचपन के दिनों की बातें करता था। ऐसा लगता है मानों इरफान का अभी फोन आएगा और वह बातें करेगा। जैदी ने कहा वह एक रियल फाइटर था। वो बात कम करता था, औरों की सुनता ज्यादा था।
'रहमदिल इतना कि सड़क पर घायल कुत्ते को देखकर कार रोकी और इलाज करवाया'
इरफान के बचपन के साथी और पारिवारिक मित्र एडवोकेट नजीर नकवी ने बताया कि इरफान एक रहमदिल इंसान थे। बॉलीवुड में सफलता के बाद भी वह जमीन से जुड़े रहे। घमंड कभी उनके सिर पर चढ़कर नहीं बोला। करीब एक साल पहले इरफान जयपुर आये थे। तब हम लोग अपने परिवार के साथ दो गाड़ियों से दूदू की तरफ जा रहे थे।इसी बीच रास्ते में सड़क पर एक कुत्ता घायल हालत में पड़ा नजर आया। तब इरफान ने कार रोकी। उस कुत्ते के उपचार के लिए आसपास के लोगों को फोन करवाया। उसके इलाज होने के बाद रवाना हुआ। एडवोकेट नकवी ने बताया कि इस घटना के बाद वे मुंबई चले गए। लेकिन वहां से भी फोन पर बातचीत कर उस कुत्ते के बारे में पूछते रहते। तब मैं वापस स्थानीय लोगों से फोन पर जानकारी लेकर उन्हें बताता। वह सबकी मदद को हरसंभव तैयार रहते थे।
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