देहरादून I प्रदेश में पांच राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों को पीपीपी मोड मे चलाए जाने के लिए सरकार को एक भी पार्टनर नहीं मिला। यह हाल तब है, जबकि सरकार इसके लिए 30 साल तक चार हेक्टेयर भूमि के साथ ही स्कूल भवन निर्माण के लिए 50 फीसदी धनराशि उपलब्ध करा रही थी, लेकिन एक भी पार्टनर न मिलने से अब इन स्कूलों को सोसाइटी मोड में चलाए जाने की तैयारी है। इसके बाद कुछ स्कूलों को स्कूल भवन निर्माण के लिए धनराशि जारी की गई है। 
सरकार ने जिन स्कूलों को पीपीपी मोड में चलाए जाने का निर्णय लिया था, उसमें चार स्कूल पर्वतीय जनपद एवं एक स्कूल ऊधमसिंह नगर में शुरू होना है। इन स्कूलों के लिए चार से पांच बार आवेदन मांगे जा चुके हैं, लेकिन कोई भी इसके लिए आगे नहीं आया। यही वजह है कि गैरसैंण, चिन्यासीसौंण, बागेश्वर, रुद्रप्रयाग और ऊधमसिंह नगर के ये विद्यालय वर्ष 2012-13 से अस्थायी भवनों में चल रहे हैं।

इसमें राजीव गांधी नवोदय विद्यालय गैरसैंण में बाउंड्रीवाल के लिए कुछ धनराशि जारी की जा चुकी है। जबकि अब चिन्यासीसौंण सहित अन्य विद्यालयों को भी सरकार सोसाइटी मोड में संचालित करने की तैयारी में हैं। ताकि पीपीपी मोड के चक्कर में वर्षों से अधर में लटके इन स्कूलों के भवन का निर्माण किया जा सके। शिक्षा निदेशालय की ओर से शासन को इसका प्रस्ताव भेजा गया है। वही कुछ स्कूलों के भवन निर्माण के लिए बजट की व्यवस्था की जा रही है।   

नियमों में शिथिलीकरण के बाद भी नहीं आया कोई आगे 
पहाड़ में स्कूलों के लिए नियमों में शिथिलीकरण के बाद भी कोई स्कूल के लिए आगे नहीं आया। सरकार की ओर से नेटवर्थ एवं टर्नऑवर के साथ ही स्कूल संचालन के लिए अनुभव को कम किया गया था ताकि पहाड़ में स्कूल संचालन के लिए कोई आगे आए, लेकिन स्थिति जस की तस बनी है। 

प्रदेश में पांच राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों को पीपीपी मोड में चलाया जाना था, लेकिन इसके लिए कई बार आवेदन मांगे जाने के बावजूद कोई प्रस्तावक नहीं मिला। यही वजह है कि अब इन स्कूलों का प्रस्ताव तैयार कर शासन में भेजा गया है। शासन को निर्णय लेना है कि इन स्कूलों को सोसाइटी मोड में चलाए या भी कोई अन्य विकल्प तलाशा जाए।
-आरके कुंवर, शिक्षा निदेशक 
Share To:

Post A Comment: