आज दिनांक 20 अक्टूबर, दिन इतवार, आचार्य आर एन केला इण्टर कालेज में जमीयत उलेमा ए हिन्द नजीबाबाद की जानिब से होने वाला यह अमन एकता सम्मेलन हर धर्मनिरपेक्ष हिन्दुस्तानी के दिल की चाहत और उसकी अंतरात्मा की आवाज़ है।

हिन्दुस्तान की गंगा जमुनी तहज़ीब, शांति, स्नेह, प्रेम, एकता, भाईचारा की मुंह बोलती तस्वीर है।
जमीयत उलेमा ए हिन्द वो तारीखी (ऐतिहासिक) संगठन है जिसकी प्रष्ठभूमि में राष्टीय एकता, शांति और सदभाव शामिल है।

जमीयत का 100 साला इतिहास इस बात का गवाह है कि इसने आतंकवाद और अशांति फैलाने वालों चाहे वो किसी भी धर्म के लोगों की तरफ से हो, उनका कभी समर्थन नही किया बल्कि हमेशा वो कार्य किये है जिन से राष्ट्र का निर्माण हो।

आज का यह कार्यक्रम इसी की एक सुनहरी कड़ी है। अमन एकता सम्मेलन का मकसद अपने महबूब वतन की गंगा जमुनी तहज़ीब की हिफाज़त और सदियों से चली आ रही हिन्दु मुस्लिम सिख ईसाई एकता की साख को कायम रखना है। इस सम्मेलन के ज़रिये प्यार मोहब्बत का वातावरण तैयार करना, शांति और व्यवस्था कायम रखना, और देश को आगे बढ़ाना है।

इस सम्मेलन का उद्देष्य यह सन्देष पहुंचाना है कि इस देश की तरक्की एकता और कंधे से कधां मिलाकर साथ चलने मे है। इसके बगैर देश तरक्की नही कर सकता।
तमाम धर्म के लोगों को इस सम्मेलन मे बुलाकर यह बात बताना मकसद है कि कोई भी धर्म अमन और एकता के खिलाफ नही है। सभी धर्म नफरत, घृणा व हिंसा, अशांति फैलाने, जु़ल्म व सितम के खिलाफ है।

हम शत प्रतिषत इस विश्वास के साथ यह कह सकते हैं कि किसी भी धर्म का मानने वाला अगर अपने धर्म के मुल सिद्धान्तो को जानता हो और उसपर चलने वाला हो तो वो कभी भी नफरत, अशांति, घृणा, हिंसा फैलाने वाला नही होगा, कभी किसी को तकलीफ नही पहुंचाएगा।

जमियत उलेमा अमन और एकता सम्मेलन के इस मंच से पूरे भरोसे और विश्वास के साथ यह ऐलान करके तमाम दुनिया तक अपनी आवाज़ पहुंचाना चाहती है कि इस्लाम धर्म शांति का धर्म है।

पैगम्बर ए इस्लाम पैगम्बर अमन और शांति हैं और कुरान अमन का स्रोत है।

जो अशांति फैलाने वाला और आतंकवाद से जुड़ा हुआ हो वो मुसलमान नही हो सकता चाहे उसका नाम मुसलमानो जैसा हो और जो मुसलमान है वो कभी आतंकवाद से जुड़ा हुआ नही हो सकता।

अमन और एकता, इंसानी हमदर्दी, खिदमत ए खल्क, प्यार मुहब्बत, भाईचारा इस्लाम की बुनियादी शिक्षा है।

जिसका विवरण यह है कि इस्लाम में इन्सानियत के नाते सभी धर्मो के लोग आपस में भाई-भाई हैं। (कुरान पाक)
किसी एक इन्सान को बेवजह नाहक कत्ल करना मज़हब ए इस्लाम के नज़दीक सारी इन्सानियत का खून करने जैसा है। (कुरान पाक)

इस्लाम के नज़दीक तमाम मखलूक अल्लाह का कुंबा है। अल्लाह को सबसे प्यारा वो आदमी है जो उसके कुंबे वालो के साथ भलाई करे - (पैगम्बर का फरमान)

मज़हब ए इस्लाम में जो किसी को तकलीफ पहुंचाऐ वो मुसलमान नही- (पैगम्बर का फरमान)

इस्लाम की तालीम यह है कि जो इन्सानो पर रहम न करे वो अल्लाह के रहम का मुस्तहिक नही- (पैगम्बर का फरमान)


मज़हब नही सिखाता आपस में बैर रखना,
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोसिता हमारा।
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