देहरादून I रिस्पना और बिंदाल नदियों को खूबसूरत बनाने के लिए सरकार अब नदी श्रेणी की भूमि का उपयोग परिवर्तन करने की तैयारी कर रही है। भू उपयोग परिवर्तन के बाद एमडीडीए इन नदियों के किनारे के अतिक्रमण के क्षेत्रों में नियोजित विकास का खाका खींच पाएगा।
प्रदेश सरकार की ओर से इस समय बिंदाल और रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने और रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के तहत नदियों के किनारों का सौंदर्यीकरण करने की योजना पर काम कर रही है। नदियों को पुनर्जीवित करने में नदी के जल संग्रहण क्षेत्र में अधिक से अधिक पौधा रोपण करने की योजना बनाई भी गई है।
इसके तहत 2.50 लाख पौधे रोपे भी जा चुके हैं लेकिन रिवर फ्रंट डेवलपमेंट में सरकार को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मुसीबत ये है कि दोनों ही नदियों के किनारे अतिक्रमण है और इस अतिक्रमण को हटाने पर सरकार के सामने विस्थापन की खासी बड़ी चुनौती सामने आएगी। सिंचाई विभाग ने नदी क्षेत्र में पहले दीवार भी बनाई थी लेकिन इस दीवार के अंदर नदी क्षेत्र में भी अतिक्रमण हो गया है। ऐसे में इस क्षेत्र को खूबसूरत बनाने और ग्रीन बेल्ट विकसित करने का जिम्मा एमडीडीए को सौंपा गया था।
शासन के सूत्रों के मुताबिक एमडीडीए नदी श्रेणी की जमीन होने के कारण विकास योजना पर काम नहीं कर पा रहा है। ऐसे में राजस्व विभाग ने अब नदी श्रेणी की भूमि का श्रेणी परिवर्तन करने का प्रस्ताव तैयार किया है। यह श्रेणी परिवर्तन भी सिर्फ उस क्षेत्र का होगा जहां पहले से अतिक्रमण मौजूद है। नदी श्रेणी की भूमि में किसी तरह का निर्माण प्रतिबंधित है। यही वजह है कि यह प्रस्ताव तैयार किया गया है। शासन के मुताबिक इन दोनों ही नदियां अब मौसमी नदियां बन कर रह गई हैं। ऐसे में एमडीडीए को यह भी कहा गया है कि नदियों को चैनेलाइज (प्रवाह को नियंत्रित करेगा) करने की योजना पर भी काम करे। पंचायत चुनाव की आचार संहिता को देखते हुए राज्स्व विभाग ने फिलहाल इस प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ाया है। प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है और अब होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में यह प्रस्ताव रखा जाएगा।
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