देहरादून I प्रदेश में 60 हजार से अधिक बीएड धारकों के लिए बड़ी राहत की खबर है। अपर शिक्षा निदेशक वीरेंद्र सिंह रावत के मुताबिक एनसीटीई ने जुलाई 2011 से पूर्व की स्नातक परीक्षा में 50 फीसदी से कम अंक पाने वाले इन बीएड धारकों को टीईटी में शामिल होने की अनुमति दे दी है। इन अभ्यर्थियों के स्नातक परीक्षा में अंक चाहे कुछ भी हों, वे अब शिक्षक पात्रता परीक्षा में शामिल हो सकेंगे।
शिक्षक बनने के लिए टीईटी को अनिवार्य किया गया है, लेकिन शिक्षक पात्रता परीक्षा में भी केवल वे ही अभ्यर्थी बैठ सकते हैं, जिनके स्नातक में कम से कम 50 फीसदी अंक हों, यही वजह है कि प्रदेश में बड़ी संख्या में बीएड धारक टीईटी नहीं कर पा रहे थे, लेकिन अब 2011 से पूर्व के उन बीएड धारकों को एनसीटीई की ओर से राहत दी गई है। दरअसल, एनसीटीई ने 13 नवंबर 2019 को नोटिफि केशन में 23 अगस्त 2010 व 29 जुलाई 2011 के पूर्व आदेशों में संशोधन कर दिया है। 

एनसीटीई की ओर से कहा गया है कि 2011 से पूर्व के स्नातक में 50 फीसदी से कम अंक पाने वाले बीएड धारक भी टीईटी परीक्षा में बैठ सकेंगे। वहीं 2011 के बाद के उन बीएड धारकों के लिए भी राहत है, जिनके यूजी या पीजी में से किसी एक में 50 फीसदी या फिर इससे अधिक अंक हैं। अब यूजी या पीजी में से किसी एक में 50 फीसदी या इससे अधिक अंक वाले अभ्यर्थी भी शिक्षक पात्रता परीक्षा में बैठ सकेंगे।

एनसीटीई के इस नोटिफिकेशन के बाद उत्तराखंड टीईटी के नियम में खुद ही बदलाव हो जाएगा। उत्तराखंड टीईटी में इस तरह का प्रावधान किया गया है कि एनसीटीई की ओर से समय-समय पर जो भी संशोधन किया जाएगा, उसी के अनुरूप उत्तराखंड टीईटी के नियमों में खुद ही बदलाव हो जाएगा।
- वीरेंद्र सिंह रावत, अपर शिक्षा निदेशक, बेसिक शिक्षा
Share To:

Post A Comment: