देहरादून I राजधानी के करीब ढाई हजार ऑटो रिक्शा को किराया मीटर लगाने की अनिवार्यता से राहत मिली है। राज्य परिवहन अधिकरण (स्टेट ट्रांसपोर्ट ट्रिब्यूनल) ने संभागीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) के अनिवार्य मीटर लगाने के आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही किराया मीटर न लगाए जाने पर ऑटो रिक्शा को फिटनेस और परमिट का नवीनीकरण न जारी करने के निर्णय को मोटरयान अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत माना है।
आरटीए के इस फैसले के बाद ऑटो रिक्शा चालक इसके विरोध में उतर आए थे। राकेश कुमार अग्रवाल ने आरटीए के इस फैसले के खिलाफ राज्य परिवहन अधिकरण में अपील की। अपीलार्थी अधिवक्ता शिवा वर्मा ने बताया कि ट्रिब्यूनल में यह अपील की गई थी कि आटो रिक्शा में किराया मीटर न लगाए जाने पर फिटनेस और परमिट का नवीनीकरण पर रोक लगाया जाना मोटरयान अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ है।
अधिनियम में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। न ही राज्य की मोटरयान नियमावली में ऐसा कोई प्रावधान किया गया है। साथ ही ट्रिब्यूनल के समक्ष यह पक्ष भी रखा गया था कि मोटरयान अधिनियम में किराया मीटर लगाने का प्रावधान तो है, लेकिन इसके लिए अनुमोदन की शर्त भी लगाई गई है। लेकिन आरटीए ने अपने स्तर पर निर्णय ले लिया जबकि उसे शासन से अनुमोदन लेना चाहिए था।
वर्मा के अनुसार, ट्रिब्यूनल ने बगैर अनुमोदन के ऑटो रिक्शा में मीटर की अनिवार्य किए जाने को नियमों के विपरीत माना और इस फैसले को खारिज कर दिया। साथ ही इसे वाहनों के फिटनेस और परमिट के नवीनीकरण की प्रक्रिया को मोटरयान अधिनियम के समानांतर मानते हुए इसे निरस्त कर दिया।
अधिकरण की अध्यक्ष कहकशा खान ने स्पष्ट किया कि आटो रिक्शा में किराया टैक्सी मीटर लगाने के बारे में निर्णय मोटर अधिनियम 1988 में निर्धारित उचित प्रक्रिया अपनाने के बाद उचित प्राधिकारी द्वारा ही लिया जा सकता है।
आरटीए का फैसला अव्यवहारिक और नियमों के बाहर जाकर था। ट्रिब्यूनल ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। इससे राजधानी के 2393 ऑटो रिक्शा चालकों समेत सभी मोटर कैब को बड़ी राहत मिली है।
- विजय वर्धन डंडरियाल, अध्यक्षत्र, महानगर सिटी बस सेवा महासंघ
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