देहरादून I पंचायत चुनाव के लिए यूं तो पहले से शोर मचा हुआ है, लेकिन आरक्षण की प्रक्रिया पर अंतिम मुहर लगने के बाद यह शोर और तेज होना तय है। इसकी वजह है। आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होते ही सरकार के स्तर पर अपेक्षित सभी प्रक्रिया निबट चुकी है। अब बस सरकार को राज्य निर्वाचन आयोग को सूचित करना है। रविवार को वह यह काम भी करने जा रही है। इसके बाद चुनाव का प्रस्तावित कार्यक्रम राज्य निर्वाचन आयोग के स्तर पर सरकार को सौंप दिया जाएगा। सरकार ने सहमति जताई, तो फिर चुनावी बिगुल बज उठेगा।
हरिद्वार को छोड़कर 12 जिलों में शनिवार को त्रिस्तरीय पंचायतों का आरक्षण तय हो गया। जिलों के स्तर पर तय किए आरक्षण का अंतिम प्रकाशन कर दिया है। इसके साथ ही अब निगाहें राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ टिकने जा रही है। जिलों से पंचायती राज निदेशालय, फिर शासन और सबसे आखिरी में राज्य निर्वाचन आयोग को आरक्षण की रिपोर्ट दी जाएगी। यह रिपोर्ट सौंपते ही सरकार के स्तर पर सारा काम खत्म हो जाएगा और गेंद पूरी तरह से राज्य निर्वाचन आयोग के पाले में आ जाएगी।
तीन बार टलने के बाद पंचायतों की आरक्षण प्रक्रिया 27 अगस्त से शुरू हुई थी। एक दिन आपत्तियों को दर्ज करने और दो दिन इसकी सुनवाई के लिए तय किया था। इस दौरान 66 हजार से ज्यादा पदों के लिए आरक्षण की प्रक्रिया को तय किया गया। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण बाद में तय किया जाएगा। आरक्षण प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद अब पंचायत चुनाव के लिए उलटी गिनती शुरू हो गई है। हाईकोर्ट को राज्य सरकार ने 30 नवंबर, 2019 तक त्रिस्तरीय पंचायत का हर चुनाव करा लेने का भरोसा दिलाया है।
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