देहरादून। विषम भूगोल और 71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में चिंताजनक स्थिति में पहुंच चुके मानव-वन्यजीव संघर्ष ने सरकार की पेशानी पर बल डाल दिए हैं। इस कड़ी में सह अस्तित्व की भावना के मद्देनजर संघर्ष थामने को जनजागरण समेत अन्य उपाय करने के साथ ही इस अहम मसले को आठवीं कक्षा तक पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की तैयारी है। इस सिलसिले में शिक्षा विभाग प्रस्ताव तैयार करेगा। फिर कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे राज्यभर के स्कूलों में लागू कर दिया जाएगा। इससे जहां जनजागरण में मदद मिलेगी, वहीं लोगों को वन्यजीवों से बचाव के साथ ही इनके साथ रहने के तौर-तरीकों की जानकारी मिल सकेगी। 

यह किसी से छिपा नहीं है कि बाघ, हाथी समेत दूसरे वन्यजीवों के संरक्षण में उत्तराखंड अहम भूमिका निभा रहा है। वन्यजीवों की बढ़ती तादाद इसकी बानगी है। बावजूद इसके तस्वीर का दूसरा पहलू भी है। यही वन्यजीव यहां के निवासियों के लिए जान का सबब भी बन गए हैं। खासकर, गुलदारों के खौफ ने तो रातों की नींद और दिन का चैन छीना हुआ है। 
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