देहरादून I राजकीय महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत एक लाख से अधिक छात्रों की फीस में वृद्धि होगी। ये बढ़ोतरी 25 फीसदी तक हो सकती है। सरकार के आदेश पर गठित शुल्क निर्धारण कमेटी ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है।
जल्द ही इसे शासन को भेज दिया जाएगा। शुल्क ढांचे में छोटी मदों को खत्म कर इसकी जगह छात्रों से अब लघु मरम्मत शुल्क लिया जाएगा। इस शुल्क से महाविद्यालयों की मरम्मत सहित अन्य कार्य किए जाएंगे।  

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने हाल ही में उच्च शिक्षा में फीस संशोधन के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। उच्च शिक्षा के पूर्व प्रभारी निदेशक बीएस बिष्ट की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी को 15 दिनों के भीतर सरकार को अपनी रिपोर्ट देनी थी।

हालांकि कमेटी एक महीने बाद भी सरकार को अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप पाई। लेकिन अब अगले एक हफ्ते में कमेटी अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप देगी। रिपोर्ट को लेकर जो तथ्य अमर उजाला के हाथ लगे हैं, उनके अनुसार, छात्र-छात्राओं से ली जा रही फीस की 37 मदों में से कुछ मदों को खत्म करने की सिफारिश की गई है। 

इनमें पहाड़ के महाविद्यालयों में साइकिल स्टैंड मदों को खत्म किया जा सकता है। लेकिन लघु मरम्मत शुल्क के रूप में छात्र-छात्राओं की जेब पर हर साल डेढ़ सौ रुपये तक भारी पड़ सकते है। वहीं स्नातक में कॉमर्स के छात्रों से सबसे कम और विज्ञान के छात्रों से सबसे अधिक फीस ली जाएगी।

जिसमें स्नातक कॉमर्स की फीस 250-300 रुपये, कला संकाय के छात्रों से 300-350 और विज्ञान संकाय के छात्र-छात्राओं से हर महीने 350-400 रुपये शुल्क लिए जाने का प्रस्ताव है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि नौ नवंबर के बाद इस प्रस्ताव को सरकार को सौंपा जाएगा। इस प्रस्ताव पर सरकार के अनुमोदन के बाद ही छात्रों से बढ़ी फीस ली जा सकेगी। 

प्रदेश में कुछ महाविद्यालय भवन बहुत पुराने हैं, इनकी मरम्मत के लिए कई बार सरकार को लिखा जाता है, लेकिन इसके लिए धनराशि नहीं मिल पाती। छात्र-छात्राओं से लघु मरम्मत शुल्क लिए जाने का प्रस्ताव है। कमेटी विभिन्न महाविद्यालयों में फीस का परीक्षण कर चुकी है। जल्द ही इसका प्रस्ताव शासन को भेज दिया जाएगा।
-बीएस बिष्ट, फीस संशोधन कमेटी के अध्यक्ष 
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