देहरादून । उत्तराखंड के सीमांत पर्वतीय क्षेत्रों से हो रहे पलायन और जनशून्य होते गांवों पर नीति आयोग ने चिंता जताई। आयोग के सदस्य प्रो रमेश चंद ने कहा कि पलायन रोकने को केंद्र व राज्य सरकार को मिलकर नीति बनानी होगी। उन्होंने कांट्रेक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देने और पर्वतीय क्षेत्रों में सेटेलाइट शहर विकसित करने का सुझाव दिया। विषम भौगोलिक परिस्थितियां देखते हुए उन्होंने 11 हिमालयी राज्यों के लिए विशेष व्यवस्था बनाने का समर्थन भी किया।
राज्य सरकार ने सचिवालय में पलायन की समस्या को लेकर नीति आयोग के सदस्य प्रो रमेश चंद, सलाहकार जितेंद्र कुमार व संयुक्त सलाहकार मानस चौधरी के साथ मंथन किया। इस मौके पर बतौर मुख्य वक्ता नीति आयोग के सदस्य प्रो रमेश चंद ने कहा कि सीमांत क्षेत्रों के आबाद गांव सच्चे सीमा प्रहरी हैं। वहां जन शून्यता के हालात नहीं बनने चाहिए। राज्य में खेती की ओर घटते रुझान पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि लैंड लीजिंग कानून में बदलाव कर कांट्रेक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देना होगा। ये सुझाव दिया कि जिन सेक्टर में राज्य सरकार के पास कार्य पूरा करने की क्षमता नहीं है, वहां नॉलेज हब के तौर पर केंद्र समुचित सहायता उपलब्ध करा सकता है।जल्द कार्ययोजना बनाए राज्य सरकार
उन्होंने कहा कि पलायन की विकट समस्या का समाधान एक वृहद योजना बनाकर किया जाना उचित होगा। हिमाचल के जिन क्षेत्रों से पलायन नहीं हुआ वहां का विस्तृत अध्ययन कराया जाए। इसके आधार पर उत्तराखंड भावी रणनीति बनाकर लाभ ले सकता है। उन्होंने राज्य सरकार से बैठक में हुई चर्चा के आधार पर विस्तृत कार्ययोजना जल्द तैयार करने को कहा, ताकि नीति आयोग उन पर अमल कर सके। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि सीमांत गांवों से पलायन देश की सुरक्षा के लिए चिंताजनक स्वरूप धारण कर सकता है। अवस्थापना निर्माण की ऊंची लागत देखते हुए हिमालयी राज्यों के लिए पृथक नीति बनाई जाए। आपदा मानकों में शिथिलता और उन्हें पर्वतीय क्षेत्रों के मुताबिक सुसंगत बनाने का अनुरोध किया।
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